Chawla case: सुप्रीम कोर्ट के के फैसले के विरोध में निकाला मार्च, न्याय पर उठाया सवाल
छावला कांड में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. इसके बाद उनमें से दो आरोपियों ने ऑटो चालक की 25 जनवरी को हत्या कर दी. इस पर ऑटो चालक यूनियन ने अदालत को दोषी ठहराते हुए कहा कि मृतक परिवार का पालन-पोषण करे कोर्ट.
चरणसिंह सहरावत/नई दिल्ली: दिल्ली के द्वारका सेक्टर 9 स्थित अक्षरधाम अपार्टमेंट, निर्भया चौक पर छावला कांड पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया. इस कैंडल मार्च में पीड़ित लड़की के माता-पिता के साथ निर्भया के माता-पिता, कई स्वयंसेवी संस्थाएं, स्थानीय लोग और ऑटो चालक यूनियन समेत सैकड़ों लोगों ने भाग लिया, जहां यह कैंडल मार्च निर्भया चौक से होते हुए कारगिल चौक पर पहुंचा और फिर वापस निर्भया चौक पर आकर छावला कांड पीड़ित मृतक लड़की के फोटो के सामने जलती हुई कैंडल्स को रखकर लोगों ने अपना रोष प्रकट किया. वहीं कैंडल मार्च के दौरान लोगों ने जमकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपना रोष प्रकट करते हुए नारेबाजी भी की.
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आपको बता दें कि छावला इलाके में 2012 में हुए अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन आरोपियों को 7 दिसंबर 2022 को फांसी की सजा से बरी कर दिया गया था. इसके बाद से द्वारका इलाके के लोगों ने रोजाना मृतक लड़की को न्याय दिलाने के लिए निर्भया चौक पर कैंडल जलाना शुरू किया, जहां पिछले 94 दिनों से रोजाना कैंडल जलाकर लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं. वहीं पुलिस व पीड़ित परिवार द्वारा छावला कांड की रिव्यू पिटिशन डाली गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद अब एक बार फिर पीड़ित परिवार को सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद जगी है.
नहीं होता निर्भया कांड
वहीं निर्भया की मां का कहना है कि छावला कांड फरवरी 2012 में हुआ था और निर्भया कांड दिसंबर 2012 में हुआ था. ऐसे में यदि सरकार और प्रशासन मामले को गंभीरता से लेते तो शायद निर्भया कांड ही नहीं होता. सरकारों ने इन वारदातों से कोई सबक नहीं लिया और न्यायालय ने भी तीनों मुजरिमों को छोड़ दिया, जिसके बाद उन मुजरिमों में से एक मुजरिम विनोद ने 25 जनवरी की रात को एक निर्दोष ऑटो चालक की हत्या कर दी. इसके जिम्मेदार आरोपियों को बरी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज है, जिन्होंने ऐसे अपराधी को छोड़ दिया.
उन्होंने आगे कहा कि वहीं कोर्ट में बैठे न्यायधीश सबूतों के अभाव में ऐसे मुजरिमों को छोड़ देते हैं, जो सभी के लिए खतरा साबित होते हैं. ऐसे में दुष्कर्म और हत्या जैसे अपराधों मे लिप्त आरोपियों को नहीं छोड़ना चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट पर लगे इस कालिक को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को बाहर घूम रहे दो आरोपियों को तुरंत जेल में भिजवा कर सभी आरोपियों को फांसी की सजा देनी चाहिए.
कोर्ट करे परिवार का पालन पोषण
छावला कांड में मृतक लड़की की मां का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज द्वारा अपराधियों को बरी नहीं किया जाता तो शायद ऑटो ड्राइवर की जान बच जाती. सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिव्यू पिटीशन को स्वीकार किए जाने पर अब उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है. इस कैंडल मार्च में ऑटो चालक यूनियन के लोगों ने भी भाग लिया. जहां उनका कहना है कि उनके एक ऑटो चालक साथी की उसी अपराधी ने हत्या कर दी जो छावला कांड का मुख्य आरोपी था, जिसे सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज द्वारा बरी कर दिया गया. अब सभी ऑटो चालक मृतक ऑटो चालक की हत्या का श्रेय माननीय कोर्ट के जज साहब को दे रहे हैं. उनका कहना है कि अब माननीय कोर्ट मृतक ऑटो चालक के परिवार का भरण पोषण करने की व्यवस्था करें और उस अनाथ परिवार का सहारा बने.