Delhi News Hindi: एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की मुफ्त सुविधाओं पर तंज कसा. ऐसा लगता है कि बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए उसके पास कोई पैसा नहीं है, लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं हैं.
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Delhi News Today: पूर्वी दिल्ली में नत्थू कॉलोनी चौक के पास बने फ्लाईओवर की मरम्मत को लेकर राज्य सरकार के दो विभागों के बीच चल रहे फंड विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि फ्लाईओवर की मरम्म्मत के लिए फंड पर्यटन और परिवहन विकास निगम (TTDC) की जेब से जाएगा व फिर लोक निर्माण विभाग (PWD) की जेब से, क्योंकि अंततः यह राशि दिल्ली सरकार को ही देनी है. कोर्ट ने सवाल किया-अगर इस विवाद के बीच अगर फ्लाईओवर गिर जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा.
मरम्मत कर फिर से खोला जाए फ्लाईओवर
दरअसल हाईकोर्ट BJP विधायक जितेंद्र महाजन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दिल्ली सरकार और इसके दो विभागों ( PWD और TTDC) से फ्लाईओवर की मरम्मत और पुनः खोलने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में महाजन ने कहा कि TTDC ने नत्थू कॉलोनी चौक के पास रोड ओवर ब्रिज और "रोड अंडर ब्रिज" के लिए 2016 में एक निविदा जारी की थी, फ्लाईओवर में दोष 2015 से ही दिखाई दे रहे थे. दोनों ही विभागों (निगम और ठेकेदार) को इस बारे में सूचित किया गया था, लेकिन अब तक इनका समाधान नहीं किया गया है. पिछले दो वर्षों से भारी वाहनों के लिए फ्लाईओवर बंद होने से जनता को असुविधा हो रही है. महाजन ने याचिका में फ्लाईओवर की मरम्मत और उसे पुनः खोलने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग की. याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्ति उप्पल ने कहा कि दोनों विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे जनता को असुविधा हो रही है.
दो विभागों की लड़ाई पर भड़की बेंच
सुनवाई के दौरान PWD के वकील ने बताया कि चूंकि फ्लाईओवर का निर्माण TTDC ने 2015 में किया था, इसलिए उसे जल्द से जल्द मरम्मत करनी चाहिए। वहीं, TTDC के वकील ने कहा कि वे PWD से फंड के लिए निर्भर हैं. एक ठेकेदार को 8 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है, जो PWD द्वारा अभी तक नहीं किया गया है. इस पर कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, यह समझ में नहीं आता कि दिल्ली सरकार के दो विभाग आपस में क्यों भिड़ रहे हैं, जबकि यह स्वीकार किया जा चुका है कि फ्लाईओवर जनता के लिए असुरक्षित है.
फ्लाईओवर असुरक्षित तो फिर मरम्मत में देरी क्यों
कोर्ट ने आगे कहा, अगर आप यह मानते हैं कि यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए असुरक्षित है तो यहां वित्तीय या तकनीकी मुद्दों का सवाल कहां से आ गया? पीठ ने सवाल किया कि अगर फ्लाईओवर इस बीच गिरता है तो कौन जिम्मेदार होगा? देखिए, ऐसा नहीं हो सकता. सुरक्षा सर्वोपरि है. मानव जीवन सबसे महत्वपूर्ण है. पीठ ने यह भी कहा कि यह मायने नहीं रखता कि पैसे एक पॉकेट से आ रहे हैं या दूसरे से, क्योंकि अंततः यह फंड दिल्ली सरकार को ही देना है. अगर फ्लाईओवर असुरक्षित है तो किसी भी वित्तीय या तकनीकी मुद्दे का कोई महत्व नहीं है. यह अंततः GNCTD द्वारा ही उठाया जाएगा फिर इस विवाद और देरी का क्या कारण है?
दिल्ली सरकार की मुफ्त सुविधाओं पर तल्ख टिप्पणी
बेंच ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार के पास बुनियादी ढांचे पर खर्च करने के लिए पैसा नहीं है लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं हैं. दिल्ली सरकार कोई टैक्स इकट्ठा नहीं करती और कोई पैसा खर्च नहीं करती. वह केवल मुफ्त सुविधाएं देती है. बुनियादी ढांचे को सुधारने या बढ़ाने के लिए उसके पास कोई पैसा नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पताल 95 प्रतिशत तक बन चुके हैं, फिर भी वह (दिल्ली सरकार) धन आवंटित नहीं कर रही. कोर्ट ने यह भी कहा कि लोग इतनी असुविधा का सामना कर रहे हैं. वे सरकार से शिकायत करते हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर पा रही है, क्योंकि वह पैसा जारी नहीं कर रही है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी से आवश्यक निर्देश लेने को कहा है.
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