Chhath Puja 2022: आज छठ महापर्व का तीसरा और सबसे अहम दिन है. आज डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ हुई है, जो सोमवार को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो जाएगी. छठ पर्व बिहार का मुख्य त्योहार है जो कि देश के कई  हिस्सों में मनाया जाता है और सभी जगहों पर भी देखने को मिलती है. 


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इस व्रत में संतान की लंबी उम्र, अच्छे भविष्य और सुख-समृद्धि की कामना के साथ इस व्रत को रखा जाता है. छठ का व्रत कठिन माना जाता हैं क्योंकि इसमें 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक का निर्जला व्रत रखा जाता है. इसमें सूर्यदेव और छठ मैया की पूजा की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि छठ पूजा में क्यों की जाती है सूर्य की पूजा. 


कौन है छठी मैया? 
ऐसा माना जाता है कि छठ माता को ब्रह्मा की मानस पुत्री (ब्रह्मा ने के मन से जन्में पुत्र और पुत्रियों को मानस कहा जाता है) कहा जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि छठ मैया को सूर्य देव की बहन भी कहा जाता है. इनकी पूजा करने से संतान प्राप्ती और संतान की लंबी आयु की मनोकामना पूरी होती है. 


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क्यों दिया जाता है सूर्य देव को अर्घ्य? 
ऐसा कहा जाता है कि छठ की शुरुआत महाभारत के समय शुरू हुई थी. सूर्य देव के वरदान से कुंती ने कर्ण को जन्म दिया था. इसी वजह से कर्ण सूर्य पुत्र कहलाते हैं. कर्ण सूर्य देव के परम भक्त थे और कर्ण ने ही सबसे पहले सूर्य की पूजा करके इस पर्व की शुरुआत की थी. इसी से जुड़ी एक और मान्यता है कि जब पांडव ने अपना सारा राजपाट कौरवों से जुए में हार गए थे तब द्रौपति ने छठ का व्रत रखा था. तब पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया था. 


सूर्य देव को अर्घ्य का कारण 
सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है. भारत देश में सूर्य देव की रोज सुबह उन्हें अर्घ्य देकर पूजा की जाती है. ऐसा करने से सेहत ठीक रहती है. जिंदगी में जल और सूरज की महत्ता को देखते हुए छठ पर्व के दिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही सूर्य को जल देने का एक ज्योतिष महत्व भी है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति को मान-सम्मान और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.