जो बेटियां खदानों में सपने जलाने को थीं मजबूर वो आज सिखा रहीं बच्चों को अधिकार
झारखंड में आयोजित सत्यार्थी खेल महोत्सव के समापन अवसर पर परमवीर चक्र अवार्ड से सम्मानित कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव भी पहुंचे. उन्होंने कहा, देश को सुरक्षित रखना हम सैनिकों का परम कर्तव्य है, लेकिन बचपन को सुरक्षित बनाने की मुहिम में सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए.
नई दिल्ली: बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं, लेकिन खुद को सभ्य बताने का दावा करने वाले हमारे समाज की एक कड़वी हकीकत यह भी है कि देश के विभिन्न हिस्सों में आज भी बहुत से बच्चे बालश्रम, बाल विवाह, बाल दुर्व्यापार और यौन शोषण का शिकार हैं, लेकिन सामूहिक प्रयास की बदौलत हम इन कुरीतियों से निजात पाकर अपने बच्चों को बेहतर भविष्य भी दे सकते हैं. इसी कड़ी में कभी अभ्रक की खदानों में काम करने के लिए मजबूर बच्चियां बालश्रम की बेड़ियों को तोड़कर आज अपने सपनों को उड़ान दे रही हैं.
झारखंड के कोडरमा जिले के सुदूरवर्ती गांवों की 3,800 बालिकाओं ने डोमचांच इलाके में आयोजित अनोखे ‘सत्यार्थी खेल महोत्सव’ में बढ़-चढ़कर भाग लिया. 27 दिसंबर से कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (KSCF) द्वारा आयोजित महोत्सव का मंगलवार को रंगारंग समापन हो गया.
महोत्सव की सबसे अनोखी बात यह रही कि इसमें भाग लेने वाले बच्चे कभी अभ्रक की खदान में बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर थे और खेलकूद इनके लिए सपने की तरह ही था. इन बच्चियों ने ‘हम बच्चों का है अधिकार, रोटी, खेल, पढ़ाई, प्यार’… का नारा बुलंद करते हुए पूरे उत्साह व जोश के साथ खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाई. कार्यक्रम में बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी के अलावा कई आला अधिकारी मौजूद रहे. कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव और अन्नपूर्णा देवी ने विजेता और रनरअप टीमों को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया. कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने कहा, मैं एक सैनिक हूं, देश को सुरक्षित रखना हमारा परम कर्तव्य है, जिसे हम बखूबी निभा रहे हैं, लेकिन हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि बचपन को सुरक्षित बनाने की मुहिम में साथ मिलकर कार्य करे.
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में ‘बचपन बचाओ’ की जो मुहिम दो दशक से अभ्रक बहुल जिले कोडरमा, गिरिडीह व नवादा में चलाई जा रही है, उसका सकारात्मक परिणाम हम सभी देख रहे हैं. बाल मजदूरी, बाल दुर्व्यापार एवं बाल विवाह पर रोक लगी है और सुदूरवर्ती बाल मित्र ग्रामों की बालिकाएं प्रतिभा दिखा रहीं हैं. आज हमारी बेटियां, अपने हक की आवाज बुलंद कर रही हैं. मंत्री ने इसके लिए केएससीएफ को धन्यवाद दिया.
जिला उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि खेल महोत्सव के माध्यम से बालिकाओं में ऊर्जा का संचार हुआ है. इसका इस्तेमाल समाज में फैली बाल विवाह, बाल मजदूरी और बाल दुर्व्यापार जैसी सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में लगाना है. महोत्सव का आयोजन 500 से ज्यादा बाल मित्र ग्राम की बाल पंचायतों के चाइल्ड लीडर्स के नेतृत्व में किया गया था. ‘बाल मित्र ग्राम’ नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी का अभिनव प्रयोग है, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी बच्चा बालश्रम न करे, किसी बच्चे का बाल विवाह न हो, किसी बच्चे का यौन शोषण न हो और सभी बच्चे स्कूल जाएं.
केएससीएफ के प्रोग्राम मैनेजर गोविंद खनाल ने कहा कि इस खेल महोत्सव में सुदूरवर्ती क्षेत्र की 3,800 बालिकाओं ने हिस्सा लिया है, जो हमारे लिए गर्व का विषय है. ये बालिकाएं बच्चों के अधिकारों को भी सुनिश्चित कर रही हैं.