विजय राणा/नई दिल्ली: हरियाणा में धर्म परिवर्तन के खिलाफ मनोहर सरकार ने कड़ा फैसला लिया है. राज्य में अब विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निवारण अधिनियम-2022 लागू कर दिया गया है. इसके लागू होने के बाद अब कोई भी व्यक्ति केवल शादी के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करा सकेगा. अगर कोई नियम के खिलाफ जाकर ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ सजा का भी प्रावधान किया गया है. 


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हरियाणा में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून लागू हो गया. अहम बात यह है कि कोई भी व्यक्ति अब केवल शादी करने के लिए धर्म नहीं बदल सकेगा. इसकी पुष्टि होने पर दोषी को अधिकतम दस साल तक की सजा होगी. इतना ही नहीं, पीड़ित को गुजारा-भत्ता भी अलग से देना होगा.अगर आरोपी व्यक्ति का स्वर्गवास हो जाता है, तो पीड़ित की आर्थिक मदद के लिए उसकी अचल संपत्ति को बेचा जाएगा. इसी तरह से धर्म परिवर्तन के बाद विवाह से जन्मे नाबालिगों को भी भरण-पोषण के लिए आरोपी व्यक्ति को आर्थिक मदद करनी होगी. 


जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए मार्च के बजट सत्र के दौरान सरकार ने विधेयक पारित किया था. इसके बाद पहली दिसंबर 2022 को हुई कैबिनेट मीटिंग में इसके नियम तय किए गए हैं. नया कानून लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्मातांतरण कर सकता है, लेकिन पहले जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी.


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कानून के तहत किसी भी तरह के प्रलोभन, बल प्रयोग, षड्यंत्र से धर्म परिवर्तन करवाया जाता है, तो न्यूनतम पांच वर्ष तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना होगा. विवाह के लिए धर्म छिपाने पर 3-10 साल तक कैद और न्यूनतम तीन लाख रुपये जुर्माना. इसी तरह से सामूहिक धर्मांतरण में नियमों का उल्लंघन करने पर 5-10 साल तक कैद और न्यूनतम चार लाख रुपये जुर्माना. एक बार से अधिक जबरन धर्मांतरण में पकड़े जाने पर दस साल की सजा व पांच लाख से कम जुर्माना नहीं होगा. कानून का उल्लंघन संज्ञेय अपराध और गैर जमानती होगा.


प्रदेश में पिछले चार वर्षों में जबरन धर्मांतरण के 127 मामले दर्ज हुए हैं. जिसके बाद हरियाणा देश का 11वां भाजपा शासित प्रदेश बन गया है, जहां इस तरह का कानून बनाया गया है. 


विवाह के लिए मतांतरण नहीं हो सकेगा
हरियाणा में अब विवाह के लिए मतांतरण नहीं कराया जा सकेगा. जांच के बाद उपायुक्त मतांतरण की अनुमति नहीं देते हैं, तो उनके आदेश के विरुद्ध 30 दिन के भीतर मंडलायुक्त के समक्ष अपील की जा सकेगी. जिला मजिस्ट्रेट यदि संतुष्ट हो जाते हैं कि मतांतरण इच्छापूर्वक है तथा किसी मिथ्या निरूपण, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या किन्हीं कपटपूर्ण साधनों द्वारा या विवाह करने के प्रयोजन के बिना है तो धर्म परिवर्तन का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया जाएगा. आवेदक को 30 दिन के अंदर यह प्रमाण-पत्र मिलेगा.


आरोपी व्यक्ति को सजा के साथ पीड़ित को गुजारा भत्ता भी देना होगा
जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में कोर्ट याचिकाकर्ता और प्रतिवादी की आय के आधार पर भरण-पोषण, अदालती कार्यवाही के खर्चों तथा मासिक भरण-पोषण राशि का निर्णय कर सकेगी. प्रतिवादी को नोटिस मिलने के 60 दिन के अंदर यह राशि देनी पड़ेगी. विवाह के अमान्य घोषित होने के बाद न्यायालय याची और प्रतिवादी की आय और अन्य संपत्ति, पक्षकारों के आचरण तथा अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एकमुश्त या मासिक आधार पर सहायता राशि तय करेगा. साथ ही विवाह से जन्मे अवयस्क लड़के के बालिग होने और लड़की की शादी होने तक गुजारा भत्ता देना पड़ेगा.