Sanjay Singh: एसएमए के इलाज के लिए इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ रुपये सरकार ने इस पर भी लगाया जीएसटी
आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उच्च सदन से अनुरोध किया है कि उन्हें स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) बीमारी पर अपने विचार शून्यकाल के दौरान रखने की अनुमति दी जाए, जिसने देश के सैकड़ों बच्चों को प्रभावित किया है.
Sanjay Singh: आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उच्च सदन से अनुरोध किया है कि उन्हें स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) बीमारी पर अपने विचार शून्यकाल के दौरान रखने की अनुमति दी जाए, जिसने देश के सैकड़ों बच्चों को प्रभावित किया है. सजय सिंह के नोटिस में लिखा है, महोदय, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि वर्तमान में देश में सैकड़ों बच्चे एसएमए नामक एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इसके कारण दुनिया भर में अधिकांश शिशु मर जाते हैं.
17 करोड़ की इंजेक्शन पर सरकार ने लगाया हुआ है जीएसटी
आप सांसद ने कहा कि एसएमए के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ रुपये है और सरकार ने इस पर जीएसटी भी लगाया है, जिससे यह अफोर्डेबल नहीं है. इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की कीमत 17 करोड़ रुपये है, जो विदेश से आयात किया जाता है, जिस पर सरकार ने जीएसटी भी लगाया है. देश में सैकड़ों बच्चे इलाज के अभाव, दवाओं की अनुपलब्धता, भारी टैक्स दरों और बेहद महंगी दवाओं के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं.
आप नेता ने एसएमए रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सस्ती दवाओं की मांग
नोटिस में वरिष्ठ आप नेता ने सरकार से एसएमए रोग से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सस्ती दरों पर दवाओं की उपलब्धता, उचित दिशा-निर्देश और कर दरों में तत्काल कमी सुनिश्चित करने को कहा. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो स्वैच्छिक मांसपेशियों की गति को प्रभावित करती है, जिससे मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं. इससे पहले 2022 में, तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में जवाब दिया था कि देश में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के 295 मामले सामने आए हैं.
पवार ने कहा कि वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग एसएमए के उपचार के लिए आयातित दवाओं (केवल व्यक्तिगत उपयोग) पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) और आईजीएसटी की पूरी छूट देता है, जिससे एसएमए के लिए दवाएं अधिक सस्ती हो जाती हैं. स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने यह भी साझा किया कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने फार्मास्यूटिकल्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत की है. यह योजना विभिन्न उत्पाद श्रेणियों के घरेलू विनिर्माण के लिए योजना के तहत चयनित निर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिसमें अनाथ दवाएं भी शामिल हैं.