संजय वर्मा/ नई दिल्ली : एक ओर सीएम अरविंद केजरीवाल गुजरात में दिल्ली के कारोबारियों के हित में उठाए कदमों का जिक्र कर उनसे मजबूत जुड़ाव का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली ने व्यापारी केंद्र सरकार के जीएसटी से जुड़े नियमों के विरोध में जुटने लगे हैं. भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने आज केंद्र सरकार के समक्ष जीएसटी के सरलीकरण की मांग रखी. इस दौरान व्यापारियों का कहना है कि जब देश में GST लागू किया गया था, तब हमने इसका समर्थन किया था लेकिन बाद में जीएसटी के सरलीकरण न होने की वजह से आज वे बहुत आहत और असमंजस में हैं.


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उन्होंने दूध, दही आटा, छाछ और यहां तक की बच्चों के पेंसिल और रबड़ पर भी जीएसटी लगाए जाने पर विरोध जताया. व्यापारियों ने मांग की कि उपभोक्ता वस्तुओं पर GST न लगाया जाए. उनका कहना है कि आज व्यापारी जीएसटी के मकड़जाल में फंसा हुआ है और इस वजह से वे काम नहीं कर पा रहे हैं.


केंद्र सरकार के मंत्रियों के सामने रखेंगे समस्या 


भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय प्रकाश और महामंत्री हेमंत गुप्ता का कहना है कि 9 तारीख को देशभर से हजारों व्यापारी यहां पर आएंगे और केंद्र सरकार के मंत्रियों के सामने अपनी मांग रखेंगे. उन्होंने कहा कि पहले ही कोरोना संक्रमण की मार की वजह से 2 साल से व्यापारी काफी परेशान हैं और ऐसे में जीएसटी में कठोर कानून की वजह से काफी असमंजस में है. जीएसटी लगने की वजह से उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं. 


व्यापारी को प्रगति वीर मानकर सम्मान की करें रक्षा 


राकेश यादव समेत कई व्यापारियों का कहना है, हम भी सरकार का एक हिस्सा है और बगैर वेतन के कर्मचारी हैं. हम सरकार को लाखों करोड़ों रुपये का टैक्स देते हैं. व्यापारी एक तरह से सरकार का फौजी है. हमारी सरकार से मांग है कि आप हमें प्रगति वीर मानकर हमारे सम्मान की रक्षा करें और जो भी टैक्स लगाए गए हैं, उनका सरलीकरण किया जाए. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब इस टैक्स को आईएएस अधिकारी तक समझ नहीं पा रहे तो एक आम व्यापारी कैसे समझ पाएगा. 


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कई व्यापारी संगठनों ने जीएसटी में किए गए बड़े बदलाव को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है. सरकार टैक्स व्यवस्था में सरलीकरण करें, ताकि व्यापारी अपना व्यापार आराम से कर सके और सरकार को टैक्स भी दे. उन्होंने अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो हम विरोध भी करेंगे.


तीन कृषि कानूनों पर पीछे हट गई थी 


इसी तरह देशभर के किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर एकजुट हुए थे और पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत कई हिस्सों के अन्नदाताओं के व्यापक विरोध के बाद केंद्र सरकार को पीछे हटना पड़ा था.