Central Govt. Affidavit to SC: केन्द्र सरकार ने SC में हलफनामा दाखिल कर पिछले दिनों हुई चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का बचाव किया है.सरकार ने कहा कि चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए जिन 8 योग्य उम्मीदवारों के नाम पर विचार हुआ, उनकी जानकारी विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी को 13 मार्च को ही दे दी गई थी. इन्हीं 8 नाम में से दोनों चुनाव आयुक्त चुने गए. इसलिए याचिकाकर्ताओं की ये दलील कि मीटिंग से पहले ये नाम चयन समिति से साझा नहीं किये थे, गलत है.


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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर जो व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च में दिए फैसले में दी थी, वो सिर्फ तब तक के लिए थी जब तक कि सरकार इसे लेकर कानून नहीं ले आती. अब संसद ने इसे लेकर कानून बनाया है तो उसे इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि ये सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दी गई व्यवस्था के अनुकूल नहीं है.


ये कहना गलत होगा कि चयन समिति में जज न होने पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से नहीं हो पाएगी. संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वो निष्पक्ष होकर जनहित में काम करें. ऐसे में ये मान लेना कि चयन समिति में सरकार के प्रतिनिधि शामिल होने से वो निष्पक्ष नहीं रह पाएगी, ये गलत है.


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चुनाव आयोग हमेशा से अपनी जिम्मेदारी निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से निभाता रहा है. चीफ इलेक्शन कमिश्नर को वो संवैधानिक संरक्षण हासिल है, जिसके चलते वो निष्पक्ष होकर अपनी जिम्मेदारी को निभा सके. उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों के तरह ही प्रकिया अपनाकर अपने पद से हटाया जा सकता है.


चुनाव आयुक्तों के पद पर जिनकी नियुक्ति हुई है, उनकी योग्यता, विश्वनीयता पर कोई सवाल याचिकाकर्ताओं ने नहीं उठाया है. याचिककाकर्ताओं का मकसद सरकार की मंशा को कटघरे में खड़ा कर बेवजह का राजनीतिक पर विवाद खड़ा करना है.