Gauri Shankar Mandir : महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 18 फरवरी को है. भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए इस दिन विधि विधान से पूजा की जाती है. दिल्ली-एनसीआर के तमाम मंदिरों में इसे लेकर खास तैयारियां की जा रही हैं. ऐसे में आज हम आपको देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक स्थित अति प्राचीन गौरी शंकर मंदिर के बारे में बनाएंगे कि आखिर क्यों यहां लोग भारी संख्या में आते हैं. क्या है यहां की मान्यता और इसके पीछे की कहानी. 


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माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव और माता पार्वती प्रकट हुए थे. यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है यहां पर 5 पीपल के वृक्ष भी है जो अति प्राचीन हैं. मान्यता है कि जब पांडव अज्ञातवास के लिए निकले थे तो यहां पर उन्होंने भगवान शिव और पार्वती की पूजा की थी. 


मंदिर का जीर्णोद्धार 800 वर्ष पहले किया गया था 
इस प्राचीन गौरी शंकर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर महज एक लोटा जल चढ़ाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंदिर का जीर्णोद्वार 800 वर्ष पहले का बताया जाता है. पहले जहां यह मंदिर है, वहां यमुना बहती थी. यहीं पर श्रद्धालु पहले स्नान करते थे और फिर नदी से एक लोटा जल लेकर भगवान शिव को समर्पित करते थे और मिट्टी को अपने सिर पर लगाकर आशीर्वाद लेते थे. 


औरंगजेब भी हो गया नतमस्तक 
मंदिर प्रबंधक पंडित तेज प्रकाश शर्मा मंदिर से जुड़ी एक और कहानी का जिक्र करते हैं. वे बताते हैं. प्राचीन गौरी शंकर मंदिर लाल किले के सामने चांदनी चौक में स्थित है. मुगल शासक औरंगजेब जब यहां पर शासन करता था तो मंदिर की घंटियों की आवाज से उसकी नींद में खलल पड़ता था. इसके बाद औरंगजेब ने फरमान सुना दिया कि मंदिर की घंटियों को हटा दिया जाए.


इसके बाद मंदिर में घंटियों को बांध दिया गया, लेकिन औरंगजेब उस समय हैरान रह गया कि घंटियों के खुला नहीं होने के बावजूद घंटियों की आवाज और सुनाई देने लगी. वह स्वयं जब मंदिर पहुंचा. वहां पर घंटियां नहीं थीं फिर भी उसे आवाज सुनाई दे रही थी. इसके बाद औरंगजेब ने एक और परीक्षा लेनी चाहिए. उसने सुबह के समय आमाशय थाल में परोसकर भेजा.  भगवान शिव के सामने जब उस आमाशय से भरे थाल पर ढका कपड़ा हटाया गया तो थाल फूलों से भरा था.


महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के चार रूपों का गुणगान 
पंडित तेज प्रकाश शर्मा ने बताया कि प्राचीन गौरी शंकर मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर विशेष आयोजन किया जाता है. इस दिन चार पहर में भगवान शिव के 4 रूपों का शृंगार किया जाता है. भगवान शिव की बारात निकाली जाती है. पूरी रात मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से प्रसाद का वितरण किया जाता है. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, उसके लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं.


यहां हर मुराद होती है पूरी 
ललित वर्मा और सुशील गोयल समेत श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता इस मंदिर के बारे में यह है कि यहां पर जो भी कोई अपनी मुराद लेकर आता है उसकी भगवान हर इच्छा पूरी करते हैं लोग यहां पर दूर-दूर से आते हैं और भगवान शिव पार्वती का आशीर्वाद लेते हैं मान्यता है कि यहां पर आकर दर्शन और एक जलोटा चढ़ाने सेम सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है.


(इनपुट : संजय कुमार वर्मा )


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