नई दिल्ली: आज के इस दौर में बच्चे घर के खाने से ज्यादा बाहर का खाना पसंद करते है. इस कारण उनको बचपन से ही बहुत सारी बीमारियां लग जाती हैं. आपने देखा होगा कि कई सारे बच्चों के हरि सब्जियां खाना पसंद नहीं होता, लेकिन बाहर का खाना जैसे पिज्जा, बर्गर और मोमोज जैसी चीजें खानी पसंद करते हैं. वहीं बच्चों की जिद के आगे उनके मां-बाप की एक नहीं चलती, जिसकी वजह से बच्चे को छोटी उम्र में बहुत सारी बिमारियों का सामना करना पढ़ता है. हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. मुंबई में 9 साल की एक बच्ची को हार्ट अटैक आया और डॉक्टरों को इस छोटी सी बच्ची की बाईपास सर्जरी करके इसकी जान बचानी पड़ी. इसलिए बच्चों के साथ-साथ आपके लिए आज ये जानना जरूरी है कि बच्चों की गलत खाने पीने की जिद के परिणाम कितने खतरनाक हो सकते हैं. इसलिए इस खबर को ध्यान से पढ़ें.


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बता दें कि हाल ही में किए गए एक सर्वे में 6 राज्यों के बच्चों से ये पूछा गया कि बीते 24 घंटों में उन्होनें क्या खाया. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि केवल 1 प्रतिशत बच्चों ने 24 घंटे में दूध या दूध से बनी किसी चीज का सेवन किया था. ये सर्वे गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, असम और तमिलनाडु के 13 से 18 साल के 937 बच्चों पर किया गया. इस स्टडी में सामने आया है कि बचपन से टीनएज अवस्था की तरफ जा रहे इन बच्चों की डायट में सोडियम, फैट और शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा है. वहीं फाइबर वाली डायट लगभग गायब है. इन 6 राज्यों में महाराष्ट्र के बच्चों में सबसे ज्यादा खराब खान-पान की आदतें देखी गईं. वहीं गुजरात के बच्चों में सबसे कम.


हम आपको इन 6 राज्यों में सबसे कम और सबसे खराब खाने पीने की आदतों वाले दो राज्यों का डाटा बता रहे हैं. 937 बच्चों से 2 बार अलग अलग मौकों पर ये पूछा गया कि वो अपनी 24 घंटे की डायट के बारे में बताएं. इसमें 
महाराष्ट्र में 62% बच्चों ने ब्रेड खाई हुई थी. 29% बच्चों ने बताया कि उन्होंने अपने खाने में चीनी उपर से मिलाई. इस सर्वे के दौरान केवल 11% बच्चे बता पाए थे कि उन्होनें कोई डेयरी प्रॉडक्ट यानी दूध से बनी कोई चीज खाई है. गुजरात के 1 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने 24 घंटे में कोई डेयर प्रोडक्ट खाया था. 2 प्रतिशत बच्चों ने तेज नमक वाले चिप्स जैसे स्नेक्स खाए थे. 26 प्रतिशत ने हाई फैट वाला खाना और 30 प्रतिशत ने फ्राइड खाना खाया था.


यह सर्वे - Current Developments in Nutrition जर्नल में प्रकाशित हुआ है. स्टडी के दौरान ये भी सामने आया कि माता-पिता दोनों कामकाजी हैं तो बच्चों की खाने पीने की आदतें ज्यादा जल्दी खराब हो रही हैं. भारत में बच्चों की ग्रोथ के आंकड़े भी यही बता रहे हैं कि गेहूं, दाल, चावल और दुनिया का हर मोटा अनाज पैदा करने वाले भारत में बच्चों ने अपनी थाली को जंक फूड के प्लेट से बदल लिया है. हाल ही में जारी किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में 5 साल से कम उम्र के 3.4% बच्चे मोटे हैं, जबकि 2015 के सर्वे में ये आंकड़ा 2 प्रतिशत था.


यूनिसेफ के World Obesity Atlas 2022 में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2030 तक 27 मिलियिन यानी 2 करोड़ 70 लाख बच्चे मोटे होंगे. दुनिया के हर 10 बच्चों में से एक मोटा बच्चा भारत में होगा. मोटापे के मामले में भारत पहले ही पांचवे नंबर पर आ चुका है. दिल्ली की एक टेस्टिंग लैब में हमने कुछ किशोरों के वेलनेस टेस्ट पैकेज के नतीजों का आंकलन किया तो जो सामने आया वो भी कम हैरान करने वाला नहीं था. कई किशोरों को डायबिटीज थी तो कई का कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई था. हमने कुछ स्कूल कॉलेज जाने वाले बच्चों के साथ 24 घंटे के उनके खान पान का एक सर्वे भी किया है. आज आपको 9 साल की बच्ची के बारे में भी जानना चाहिए, जिसे हार्ट अटैक आया और अब वो बाईपास सर्जरी के बाद रिकवर कर रही है. वैसे तो सेहतमंद खाने का सीधा सा पैमाना ये हो सकता है कि खाना ताजा हो और घर में पका होना चाहिए.