Dhruv Rathee: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी मुंबई इकाई के प्रवक्ता सुरेश करमशी नखुआ द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे पर यूट्यूबर ध्रुव राठी और अन्य को समन जारी किया है. सुरेश करमशी नखुआ ने कथित तौर पर उन्हें हिंसक और अपमानजनक ट्रोल के रूप में संदर्भित किया है. जिला न्यायाधीश गुंजन गुप्ता ने 19 जुलाई, 2024 को पारित एक आदेश में ध्रुव राठी और सोशल मीडिया बिचौलियों को 6 अगस्त के लिए मुकदमे का समन और सीपीसी के नियम 1 और 2 के तहत आवेदन का नोटिस जारी किया.


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इस वीडियों के लिए दायर मुकदमा
इस मामले में वादी (मुकदमा दायर करने वाला व्यक्ति) की ओर से अधिवक्ता राघव अवस्थी और मुकेश शर्मा पेश हुए. 07 जुलाई को मुकदमे के अनुसार, ध्रुव राठी ने अपने YouTube चैनल से माई रिप्लाई टू गोदी यूट्यूबर्स  एल्विश यादव, ध्रुव राठी" शीर्षक से एक वीडियो अपलोड किया. उक्त मामला दर्ज होने की तिथि तक उक्त वीडियो को 2,41,85,609 बार देखा गया तथा 2.3 मिलियन से अधिक लाइक मिले, जो हर मिनट बढ़ रहा है.


अक्सर मोदी सरकार की नीतियों पर उठाते रहते है सवाल 
इस मामले पर सुरेश करमशी नखुआ ने कहा कि ध्रुव राठी ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक आवास पर अंकित जैन, सुरेश नखुआ और तजिंदर बग्गा जैसे हिंसक और अपमानजनक ट्रोल की मेजबानी की थी. विचाराधीन वीडियो को 24 मिलियन से अधिक बार देखा गया और 2.3 मिलियन से अधिक लाइक मिले, एक संख्या जो हर गुजरते पल के साथ बढ़ती जा रही है. वहीं ध्रुव राठी अक्सर अपने यूट्यूब चैनल के थ्रू मोदी सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. 


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वहीं इस मुकदमे में आगे कहा गया है कि चूंकि उपरोक्त वीडियो में हिंसक प्रवृत्तियों को बिना किसी तुक या कारण के वादी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री वादी के अनुयायियों में से एक हैं, यह स्पष्ट है कि उक्त वीडियो में आम लोगों के अनुमान में वादी को नीचे लाने की प्रवृत्ति है. 


वादी (मुकदमा दायर करने वाला व्यक्ति) ने यह भी कहा कि ध्रुव, जो एक अत्यधिक उत्तेजक और आग लगाने वाले वीडियो में, जो डिजिटल प्लेटफार्मों पर जंगल की आग की तरह फैल गया, ने वादी के खिलाफ साहसिक और निराधार दावे किए. ध्रुव राठी द्वारा वीडियो में दिए गए अपमानजनक बयानों के परिणामस्वरूप वादी की प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचा है। मुकदमे में कहा गया है कि ध्रुव राठी द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों के कारण वादी की व्यापक निंदा और उपहास हुआ है, जिससे उसके निजी और पेशेवर जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंची है.