Aadhar Linking: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा है कि, वो सम्पत्ति से जुड़े दस्तावेजों को आधार से जोड़ने की अश्विनी उपाध्याय की मांग पर तीन महीने में फैसला ले. कोर्ट ने इस बारे में दायर अश्विनी उपाध्याय की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि ये एक नीतिगत मामला है, जिस पर सरकार को फैसला लेना है. कोर्ट अपनी ओर से सरकार को इसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता.


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करप्शन पर लगेगी लगाम
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो अश्विनी उपाध्याय की याचिका को ज्ञापन के तौर पर लेते हुए इस पर फैसला ले. अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका में चल अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों को आधार से लिंक करने के केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि करप्शन, बेनामी लेनदेन और ब्लैक मनी पर अंकुश लगाने के लिए ये जरूरी है. अगर संपत्ति के दस्तावेजों को आधार कार्ड से लिंक किया जाता है तो ऐसी सूरत में ब्लैक मनी होल्डर्स बिना ऑडिट की चल अचल संपत्ति का खुलासा करने के लिए मजबूर होंगे. इससे करप्शन पर लगाम लगेगी. इससे चुनाव प्रकिया में भी पारदर्शिता आ पाएगी. याचिका में उन्होंने ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल जैसी संस्था की रिपोर्ट का हवाला दिया था कि कैसे बेनामी लेनदेन करप्शन को बढ़ावा दे रहा है.


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तीन महीने में सरकार लें फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, इसमे कोई दो राय नहीं कि करप्शन एक बड़ी समस्या है, लेकिन जहाँ तक प्रॉपर्टी के दस्तावेजों को आधार से लिंक करने की मांग है, इस पर गहन अध्ययन की ज़रूरत है. सरकार ही इस बारे में उपयुक्त फैसला ले सकती है. कोर्ट ने याचिका कर्ता अश्विनी उपाध्याय से कहा कि वो सरकार को ज्ञापन दे. हम सरकार से कहेंगे कि वो इस पर तीन महीने मैं फैसला ले. ऑथोरिटी चाहे तो इस बारे में उपाध्याय से भी सहयोग ले सकती है.
Input: Anuj Tomar