नई दिल्ली: स्मृति ईरानी की बेटी के नाम पर रेस्तरां के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट (High Court) ने कहा कि स्मृति ईरानी की बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा के साथ अन्य ने भाजपा नेता स्मृति ईरानी और उनकी बेटी पर झूठे तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमले करने की साजिश रची थी, जो न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां भोजन और पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस के तीन नेताओं द्वारा दिए गए बयान बदनाम करने वाली प्रकृति के और दुर्भावनापूर्ण इरादे से दिए गए फर्जी प्रतीत होते हैं. इनका मकसद जानबूझ कर ईरानी को व्यापक सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाना और भाजपा नेता और उनकी बेटी के नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: सोशल मीडिया पेज पी गया लाखों की शराब, लखपति बना एडमिन खरीदने वाले रह गए खाली हाथ


हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ महिला एवं बाल विकास मंत्री ईरानी द्वारा दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे में उसके समक्ष रखे गए दस्तावेजों पर गौर करते हुए की. उच्च न्यायालय का 29 जुलाई को दिया गया आदेश सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया. अदालत ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में तीनों कांग्रेसी नेताओं को समन जारी किए थे. उच्च न्यायालय ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है. 


नोटिस में ईरानी का नाम ही नहीं
न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा कि मैं रिकॉर्ड में रखे गए विभिन्न दस्तावेज, खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस देखा है, जो किसी एंथोनी डिगामा को संबोधित है, न कि वादी (ईरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को. उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट दिखता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उसकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो. वादी और उसकी बेटी रेस्तरां की मालिक नही हैं. वादी ने प्रथमदृष्टया यह भी स्थापित किया है कि उसने (ईरानी) या उसकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया था. 
अदालत ने कहा कि न तो रेस्तरां और न ही जिस भूमि पर रेस्तरां मौजूद है, उसपर वादी या उसकी बेटी का स्वामित्व है, यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस वादी या उसकी बेटी के नाम पर नहीं है. वादी ने अपने हलफनामे में भी इन तथ्यों की पुष्टि की है. केंद्रीय मंत्री ईरानी ने उनके और उनकी 18 वर्षीय बेटी के खिलाफ कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने को लेकर मानहानि का वाद दायर किया है.


उच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि वादी भारत सरकार में एक मंत्री के रूप में एक सम्मानित पद पर आसीन है और अपने सार्वजनिक पद की प्रकृति को देखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में उसके बारे में किसी भी जानकारी की अत्यधिक चर्चा होती है और उसका विश्लेषण किया जाता है. उसने कहा कि प्रतिवादी संख्या 1 से 3 (कांग्रेस नेताओं) ने एक दूसरे और अन्य व्यक्तियों और संगठनों के साथ मिलकर वादी और उसकी बेटी पर झूठे, तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमलों की साजिश रची है, जिसका एक सामान्य उद्देश्य वादी व उसकी बेटी की बदनामी और प्रतिष्ठा, नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना है. 


अदालत ने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि स्मृति और उनकी बेटी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जाए. अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी अगर 24 घंटों के भीतर आरोपों से जुड़े ट्वीट, रीट्वीट, पोस्ट, वीडियो और तस्वीर हटाने में असफल रहते हैं तो सोशल मीडिया मंच ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब स्वयं इससे संबंधित सामग्री हटा दें.


इस संबंध में स्मृति ईरानी ने 2 करोड़ के मानहानि के मामले संबंध याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की थी. इस मामले में सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को लेकर हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेताओं को समन जारी करके 18 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है. कुछ कांग्रेस नेताओं की ओर से स्मृति ईरानी और उनकी बेटी को होटल व रेस्‍त्रां का मालिक बताने संबंधी ट्वीट व पोस्ट सोशल मीडिया पर किया गया था जो वायरल हो गया था.