दिल्ली CM और LG के बीच एक बार फिर शुरू हुआ विवाद, वजह बनी CAG रिपोर्ट
कैग की रिपोर्ट देर से भेजे जाने के बाद दिल्ली के LG विनय कुमार सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है, जिसमें भविष्य में सार्वजनिक धन की बर्बादी से बचने के लिए इस प्रथा से बचने की सलाह दी गई है.
नई दिल्ली: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और LG विनय कुमार सक्सेना के बीच एक्साइज पॉलिसी को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, CBI जांच के बाद अब एक बार फिर LG ने सीएम केजरीवाल को कैग की रिपोर्ट देर से भेजने को लेकर पत्र लिखा है, जिसमें सार्वजनिक धन की बर्बादी से बचने के लिए इस प्रथा से बचने की सलाह दी गई है.
क्या है पूरी प्रोसेस
भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) सरकार के सामने एक रिपोर्ट पेश करता है, जिसे वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री की मंजूरी दी जाती है, उसके बाद राज्यपाल के पास भेजकर इसे विधानसभा में पेश करने की सिफारिश की जाती है.
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महीने की शुरुआत में लगा आरोप
महीने के शुरू में उपराज्यपाल कार्यालय ने आरोप लगाया था कि 2017-18 की राज्य वित्त लेखापरीक्षा रिपोर्ट, 2018-19 की राजस्व आर्थिक, सामाजिक एवं सामान्य क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम रिपोर्ट, 2019-20 की सामान्य सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र (गैर-पीएसयू) रिपोर्ट और 2020-21 की जीएनसीटीडी के वित्त खाते रिपोर्ट जून के अंत तक सरकार के पास लंबित हैं, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान 5 जुलाई को ये रिपोर्ट पेश की थी.
LG का पत्र
कैग की रिपोर्ट देर से भेजे जाने के बाद LG ने सीएम को पत्र लिखा, 'मैं एक बार फिर आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि भविष्य में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से संबंधित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष समय पर रखी जाए और सार्वजनिक धन की बर्बादी व दुरुपयोग से बचने के लिए समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाए.'
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एक साथ क्यों नहीं पेश कर सकते रिपोर्ट
सभी रिपोर्ट एक साथ पेश करने की वजह से CAG की गंभीर टिप्पणियों पर चर्चा करने का अवसर नहीं मिल पाएगा. पत्र में ये भी कहा गया कि 'यह देखा गया है कि उपरोक्त रिपोर्टों में इंगित की गई कई अनियमितताएं गंभीर प्रकृति की हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. विधानसभा के समक्ष लेखापरीक्षा प्रतिवेदनों को प्रस्तुत करने में अत्यधिक विलम्ब से न केवल समय पर सुधारात्मक कार्रवाई में देरी हुई बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से कथित कमियां भी कायम रहीं. इस प्रकार दक्षता, जवाबदेही व निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने का लेखापरीक्षा का उद्देश्य विफल हो गया.'