Liquor Crisis : दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेने और 1 सितंबर से पुरानी नीति को फिर से लागू करने की बात कही है. ऐसे में दुकानदारों को शराब के मौजूदा स्टॉक को 31 अगस्त तक खत्म करना होगा. ऐसे में वे इस महीने के बाकि बचे दिनों के लिए शराब खरीदने के इच्छुक नहीं हैं.
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नई दिल्ली : बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच चले जुबानी घमासान के बाद दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया है. साथ ही पुरानी आबकारी नीति के पहले नई आबकारी नीति को दो महीने का एक्सटेंशन मिला हुआ है. इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कई दिनों से 'ड्राई डे जैसे हालात बन रहे हैं. दरअसल दिल्ली के कुछ इलाकों के आउटलेट्स पर ही शराब की बिक्री हो रही है, जिसकी वजह से दुकानों के बाहर लोगों की लंबी कतारें दिख रही हैं.
शहर के पॉश इलाके जैसे साउथ एक्सटेंशन, सफदरजंग एन्क्लेव, पंजाबी बाग, ग्रेटर कैलाश, सीआर पार्क, कमला नगर, मॉडल टाउन और पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्से शराब की भारी कमी का सामना कर रहे हैं. शराब नहीं होने की वजह से ज्यादातर आउटलेट बंद हैं.
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जो कुछ आउटलेट खुले भी हैं, वे थोक ऑर्डर नहीं दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें हर हाल में 31 अगस्त तक शराब के सारे स्टॉक को खाली करना होगा. दिल्ली में 1 सितंबर से पुरानी आबकारी नीति फिर से लागू हो जाएगी, जब शहर में नागरिकों की सेवा के लिए 500 शराब की दुकानें होंगी.
एक सूत्र के अनुसार, दिल्ली सरकार के चार निगम - दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (DSIDC), दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (DTTDC) , दिल्ली राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (DSCSC) और दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक स्टोर (DCCWS) को पूरी दिल्ली में शराब की दुकानें खोलने की जिम्मेदारी दी गई है.
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भारतीय मादक पेय कंपनियों का परिसंघ (CIABC) के निदेशक विनोद गिरी के मुताबिक हम दिल्ली में मौजूदा नीति के अंतिम कुछ दिनों में और उसके बाद भी कुछ समय के लिए शराब की आपूर्ति के बारे में चिंतित हैं. मौजूदा आबकारी नीति के अंतिम दिनों में पुराने स्टॉक को खत्म किया जाना है. यही वजह है कि खुदरा विक्रेता शेष बचे दिनों के लिए शराब खरीदने के इच्छुक नहीं दिख रहे.
उन्होंने यह भी बताया कि बहुत कम समय बचा है और पुरानी नीति को फिर से लागू करने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है, जिसमें दुकानें, थोक डिपो, मूल्य निर्धारण, आदि शामिल है. दोनों सिस्टम के बीच स्टॉक पर टैक्स का
मुद्दा भी है। हमने इन सबके लिए सरकार से कुछ और समय देने का अनुरोध किया है और हम इनकी इस पर प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.