Delhi MCD Election 2022: दिल्ली में नगर निगम के चुनावों को लेकर सियासी गर्मागर्मी तेज हो गई है. MCD चुनाव में भले ही BJP, AAP और कांग्रेस के बीच अहम मुकाबला हो, लेकिन इस चुनाव में कई क्षेत्रिय दल और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं देखना है कि ये क्षेत्रिय दल अपनी राजनीति चमकाएंगे या फिर भाजपा, आप और कांग्रेस का खेल बिगाड़ेंगे. 


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बता दें कि MCD चुनाव में एनसीपी, जेडीयू, बसपा, सपा और लेफ्ट पार्टियां मैदान में उतरेंगी. इस चुनाव में भाजपा और आप ने सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. वहीं कांग्रेस ने 247 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे हैं. एमसीडी चुनाव में 250 पार्षद सीटों के लिए 1349 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से 382 निर्दलीय प्रत्याशी हैं. 


MCD चुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस तीनों प्रमुख पार्टियां पूरी ताकत के साथ चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रही हैं. वहीं क्षेत्रिय दलों ने इस चुनाव में उतरकर इसे और दिलचस्प बना दिया है. इस चुनाव में क्षेत्रिय पार्टियों ने कुछ सीटों पर अपने प्रात्यशी उतार दिए हैं. इसने JDU ने अपने 23 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 15 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. सपा ने 1 उम्मीदवार को मैदान में उतारा है.  IUML ने अपने 12 उम्मीदवार उतारे हैं. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के 3, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के 4, NCP के 29, लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग पासवान) ने 1, योगेंद्र यादव ने 7 और  BSP के 174 प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि ये दिल बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं.


असदुद्दीन ओवैसी बनेंगे इनके लिए मुसीबत
ओवैसी ने MCD में 15 में से 14 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. ओवैसी ने मुस्लिम बहुल इलाके में अपने प्रत्याशी उतारे हैं. वहीं इन जगहों पर आप और कांग्रेस ने भी मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा है. ऐसे में माना जा रहा है कि ओवैसी आप और कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं. 


दिल्ली में मुस्लिम, दलित, पंजाबी और पूर्वांचली मतदाता अहम  रोल अदा करते हैं. दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की भूमिका को देखते हुए नीतीश कुमार की पार्टी JDU 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उसने अपने प्रत्याशी पूर्वांचली बहुल इलाकों में उतारे हैं. वहीं बसपा भी एक समय में दलित मतदाताओं के लिए अहम रोल में थी, लेकिन केजरीवाल के आ जाने से उसका सियासी आधार कमजोर हो गया है.वहीं इस बार बसपा ने पूरी उम्मीद के साथ 174 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.