क्या है इंदौर का वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल, जिसे दिल्ली में अपनाना चाहते हैं CM केजरीवाल
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1455679

क्या है इंदौर का वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल, जिसे दिल्ली में अपनाना चाहते हैं CM केजरीवाल

इंदौर से सीख लेकर दिल्ली में लागू करेंगे इंदौर का स्वच्छता मॉडल (Indore Model). दिल्ली सीएम केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली नगर निगम चुनावों (Delhi MCD Election 2022) से पहले बड़ा ऐलान किया है, आखिर क्यों पड़ रही है दिल्ली में इंदौर मॉडल को लागू करने की ज़रूरत, पढ़िए इस रिपोर्ट को.  

क्या है इंदौर का वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल, जिसे दिल्ली में अपनाना चाहते हैं CM केजरीवाल

नई दिल्ली: इंदौर देश के सबसे स्वच्छ शहरों की लिस्ट में पिछले 6 सालों से लगातार बना हुआ है. इंदौर के स्वच्छता मॉडल की बात ना केवल देश बल्कि विदेशों में भी होती है, शायद यही कारण है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी MCD में सरकार बनने के बाद इंदौर मॉडल को दिल्ली में लागू करने की बात कही है. आखिर इंदौर स्वच्छता के मामले में लगातार देश में पहले नंबर पर कैसे बना हुआ है, इसे समझने के लिए हमें पहले इंदौर के स्वच्छता मॉडल को समझना होगा.

कचरे को 6 हिस्सों में बांटना या छांटना
इंदौर में हर रोज लगभग 1900 टन कचरे निकलता है, जिसमें 1200 टन सूखा कचरा और 700 टन गीला कचरा होता है. यूं तो कचरे को सूखा-गीला दो ही तरह से विभाजित किया जाता है. इंदौर ने इसे एक कदम और आगे बढ़ाया और कचरे को 6 हिस्सों में डिस्ट्रीब्यूट किया. इंदौर में कचरे को गीला कचरा, सूखा कचरा, हानिकारक घरेलू कचरा, घरेलू बायो मेडिकल वेस्ट, ई-वेस्ट और प्लास्टिक वेस्ट जैसे कचरे को कुल 6 टाइप्स में बांटा जाता है. 

ये भी पढ़ें- केजरीवाल की वो 30 बातें जिनसे घबरा रही बीजेपी, नहीं है कोई तोड़

सफाई मित्रों और वेस्ट कलेक्शन गाड़ियों का बेजोड़ नेटवर्क 
इंदौर नगर निगम में 8500 से भी ज्यादा सफाई मित्र शहर को साफ रखने के लिए दिन-रात तीन शिफ्ट में काम करते हैं. नगर निगम के पास डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन के लिए 850 से भी ज्यादा गाड़ियां हैं जो घर-घर कचरा कलेक्ट करने का काम करती हैं, जिनमें कचरे को 6 कम्पार्टमेन्टस् में अलग-अलग रखा जाता है. कचरे का प्राथमिक स्तर पर ही ये विभाजन वेस्ट ट्रीटमेंट में काफी मदद करता है. 

सफाई भी और कचरे से कमाई भी 
एशिया का सबसे बड़ा Bio-CNG Plant इंदौर में है, जहां शहर से इकठ्ठा किये गये गीले कचरे से फ्यूल बनाया जाता है, जिससे शहरभर में 150 CNG बसें चलाई जाती हैं. इंदौर नगर निगम अपने वेस्ट डिस्पोजल तकनीक से सालाना 14.5 करोड़ रुपए की कमाई करती है. इसके अलावा ऑरगैनिक मैन्योर से भी नगर निगम अच्छा-खासा कमाई करता है.

ये भी पढ़ें- मैं मॉडर्न अभिमन्यु, BJP के चक्रव्यूह का तोड़ मेरे पास, ZEE के मंच से बोले- केजरीवाल

दिल्ली में कूड़े का पहाड़ 
राजधानी दिल्ली में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला तीन जगहों पर कूड़े का पहाड़ बना हुआ है, जहां कुल मिला के 28 मीट्रिक टन कूड़ा जमा हुआ है. गाजीपुर में सबसे ज्यादा 14 मीट्रिक टन तो वहीं भलस्वा और ओखला में 8 और 6 मीट्रिक टन कूड़ा जमा हुआ है. गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ 53 मीटर ऊंचा है, तो भलस्वा में और ओखला में कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 54 और 50 मीटर है.

दिल्ली में क्यों है इंदौर मॉडल की ज़रूरत?
दिल्ली में हर दिन लगभग 10990 टन कचरा निकलता है. 5193 टन कचरे को या तो रिसाइकल कर लिया जाता है या उससे बिजली बना ली जाती है, लेकिन 5533 टन कचरे को लैंडफिल साइट में डम्प कर दिया जाता है. एक स्टडी के मुताबिक कचरे के पहाड़ों से दिल्ली में 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को टीबी, डायबिटीज, अस्थमा और डिप्रेशन की परेशानी होने का खतरा ज्यादा रहता है. प्रदूषण के मामले में तो दिल्ली देश की राजधानी है ही, इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए सीएम केजरीवाल ने इंदौर मॉडल को लागू करने की बात कही है.

(रिसर्च एंड इनपुट- हर्ष मिश्रा)

Trending news