Delhi-Meerut Expressway: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे कल यानी गुरुवार रात पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. अब से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की 16 लेन पर सफर हो सकेगा. इससे पहले केवल 12 लेन चालू थीं. वैसे तो यह एक्सप्रेस-वे अप्रैल 2021 को ही चालू हो गया था, लेकिन गाजियाबाद में लालकुआं के पास चिपियाना गांव में एक ओवर ब्रिज का काम रह गया था. कल रात एशिया का सबसे वजनी रेलवे ओवरब्रिज जनता के लिए खोल दिया गया. यह ओवरब्रिज 2270 टन का है इस लिए इसे बनाने में 1.5 साल का समय लगा.


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बता दें कि यह दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे दो भागों में बनाया गया है. गाजियाबाद से दिल्ली तक यह एक्सप्रेस-वे 16 लेन का है और मेरठ से गाजियाबाद तक यह 6 लेन का है. अब तक गाजियाबाद से दिल्ली तक केवल 12 लेन ही चालू थी, क्योंकि गाजियाबाद में चिपियाना गांव के पास रेलवे ओवरब्रिज का काम चल रहा था, जिससे मेरठ की तरफ जाने वाले लोगों को बहुत परेशानी होती थी. इस रेलवे ब्रिज की वजह से लोग यहां पर काफी देर तक जाम में फंसे रहते थे. कल रात इस ब्रिज को खोल दिया गया. इससे पहले 72 घंटे तक 20 लोडेड ट्रक एकसाथ खड़े करके इसकी टेस्टिंग की गई. अब से इस ओवर ब्रिज पर वाहन फर्राटा भरेंगे.


मजदूरों ने किया उद्घाटन


मजदूरों की 1.5 साल की मेहनत के बाद गुरुवार देर रात यह ओवर ब्रिज खोल दिया गया. वहीं NHAI ने इस ओवरब्रिज का उद्घाटन इसे बनाने वाले दो मजदूरों से कराया. इस दौरान शैलेंद्र कुमार नाम के मजदूर ने नारियल फोड़ा और बिजेंद्र के हाथों से फीता कटवाया. यह ओवर ब्रिज 130 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है. इसका कुल वजन 2270 टन है. वहीं इसके नीचे 1100 टन लोहा लगा है. इस पुल के निर्माण में 1 लाख 13 हजार नट-बोल्ट लगे हैं. बता दें कि जब ब्रिज का पहला गर्डर लॉन्च किया गया तो पहले ही दिन 155 ट्रेनें रोकनी पड़ी थीं. बता दें कि इस रेल ओवरब्रिज को खींचने (पुलिंग) की बजाय धक्का (पुशिंग) देकर बनाया गया है. पहले 40 हजार नट-बोल्ट लगाकर लॉन्चिंग पैड बनाया गया. इसके बाद रोजाना 8 से 10 इंच इस पुल को आगे खींचने की प्रक्रिया चली. यह ब्रिज कोंकण रेलवे की निगरानी में तैयार हुआ है.


वहीं इस ओवर ब्रिज के बनने पर अब गाजियाबाद के डासना से दिल्ली के सराय काले खां तक टोल लगने लगेगा. वहीं बताया जा रहा है कि टोल टैक्स में 25% तक की बढ़ोतरी हो सकती है. मेरठ से दिल्ली के सराय काले खां तक 140 रुपए तक का टोल लग सकता है. इस पर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ही फाइनल फैसला लेगा.