Delhi News: दिल्ली महिला आयोग ने बाल श्रम के लिए मजबूर की गई 14 साल की एक लड़की को बचाया है. 5 अगस्त को दिल्ली महिला आयोग को एक संगठन 'सिल्वर सेवन' से शिकायत मिली, जिसमें बताया गया कि दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 इलाके में एक 14 साल की लड़की को घरेलू सहायिका के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था. आयोग ने तुरंत संस्था के कर्मचारियों से संपर्क किया और उनके साथ स्थानीय पुलिस स्टेशन गए. उन्होंने बताया कि लड़की को उसकी मर्जी के खिलाफ एक घर में रखा जा रहा था और उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि उन्हें सटीक पता नहीं पता, लेकिन वह टीम के साथ इसका पता लगाने का प्रयास कर सकते हैं .



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दिल्ली महिला आयोग की टीम दिल्ली पुलिस अधिकारियों और संगठन के साथ ग्रेटर कैलाश-1 में घटनास्थल पर गई और 14 वर्षीय लड़की को बचाया. उसे पुलिस स्टेशन लाया गया, वह बहुत डरी हुई और सदमे में थी. वह उस घर में वापस न भेजे जाने के लिए गुहार लगा रही थी. लड़की ने बताया कि वह झारखंड के गिरिडीह जिले की रहने वाली है और उसने 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. जब वह बहुत छोटी थी तभी उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई और उसके परिवार में 2 भाई और 2 बहनें हैं. उसने बताया कि उसके भाई और भाभी उसे परेशान करते थे और अक्सर उसकी पिटाई करते थे, इसलिए वह अपने घर से भाग गई और 2021 में अपने पड़ोसी के साथ दिल्ली आ गई, जिसने उसे राजधानी में नौकरी दिलाने का वादा किया था. उसने बताया कि गोविंद नाम के व्यक्ति के जरिये उसे घरेलू काम करने के लिए एक घर में रखा गया था और वह डेढ़ साल से अधिक समय से वहां रह रही थी.


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लड़की ने बताया कि जिस परिवार के साथ वह काम कर रही थी, उसमें चार सदस्य थे - मकान मालिक, उसकी पत्नी और उनके 18 और 13 साल के दो लड़के. उसने कहा कि वह घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही थी और उसे घर का सारा काम करना पड़ता था. उसने कहा कि मालकिन नियमित रूप से उसके साथ दुर्व्यवहार करती थी और उसकी पिटाई करती थी. लड़की को मालकिन ने बताया कि उसे काफी पैसे खर्च करके खरीदा गया है और वह उसे जाने नहीं देंगे. उसने कहा कि उसे मात्र 3000-4000 प्रति माह दिए जाते थे और वह भी उसे नहीं सौंपे जाते थे. बल्कि मालकिन द्वारा उसके मासिक राशन और अन्य आवश्यक चीजों को खरीदने के लिए खर्च किया जाता था. लड़की ने बताया कि एक बार उसने अपने चाचा को झारखंड से बुलाया कि वह उसे ले जाए, लेकिन मालकिन ने उसे डांटा और उसे जाने नहीं दिया. उसने कहा कि उसने अपनी आपबीती अपने घर आए एक खाना बनाने वाले को बताई और उसने इसकी जानकारी एक एनजीओ को दी. लड़की ने कहा कि वह घर में नहीं रहना चाहती.


रेस्क्यू के दौरान घर में एक और घरेलू सहायिका भी मिली. उसने बताया कि वह तीन महीने से घर में काम कर रही थी और वह भी नौकरी छोड़ कर जाना चाहती थी, लेकिन मालकिन ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी. हालांकि उसने मालिकों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई. दिल्ली पुलिस ने लड़की का बयान दर्ज किया. अब लड़की को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाएगा और फिलहाल उसे आश्रय गृह में रखा गया है.


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा कि हमें एक लड़की को एक घर में जबरन रखे जाने की शिकायत मिली. उसका शोषण किया जा रहा था और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे कैद करके रखा गया था. हमने तुरंत यह सुनिश्चित किया कि दिल्ली पुलिस की मदद से लड़की को बचाया जाए. हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है. हम मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं. यह शर्मनाक है कि जीके 1 के एक पॉश बंगले में रहने वाले मकान मालिकों ने लड़की पर इस तरह का अत्याचार किया है. उन्हें तत्काल गिरफ्तार करने की जरूरत है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.