Delhi News: दिल्ली के बख्तावरपुर गांव की तिगीपुर रोड़ स्थित एक कॉलोनी ऐसी भी है, जिसमें लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर है. आए दिन यहां से गुजरने वाले लोग चोटिल होते हैं और बच्चे अक्सर बीमार हो जाते हैं. क्योंकि इस गली के अंदर हमेशा गंदा पानी भरा रहता है. गंदगी की बदबू से लोगों का जीना मुहाल है. जनप्रतिनिधियों की माने तो जल्द इस समस्या का समाधान होगा.


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नरेला विधानसभा के बख्तावरपुर की तिगीपुर रोड़ पर स्थित इस कॉलोनी का बदहाल हाल करीब पिछले 35 वर्षों से है. इस कॉलोनी में रहने वाले लोग नारकीय जीवन जीने पर रहे हैं. हालांकि इस गली में सैकड़ों लोग रहते हैं और यह हरिजन बस्ती का एक अच्छा खासा यह रिहायशी इलाका भी है, लेकिन फिर भी जनप्रतिनिधियों की नजर इस गली में कभी नहीं पड़ती. इस कॉलोनी की तमाम गलियों का निर्माण पिछले टेंडर में ब्लड विभाग द्वारा किया गया था. इस गली का निर्माण कार्य नहीं किया गया. जिसके चलते यहां जलभराव हमेशा रहता है. गंदगी का अंबार लगा हुआ है. रास्ता टूटा फूटा है. घरों से बाहर निकलने में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे लोग परेशान हैं.


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यहां के रहने वाले व्यक्ति का कहना है कि वह अपने घर ड्यूटी से वापस घर आ रहे थे. इस गली के रास्ते ऊंचे-नीचे होने के चलते इनका रिक्शा पलट गया, जिसके चलते इनकी टांग टूट गई. इस गली में रहने वाले उद्देसर यादव ने भी बताया कि इस गली में साइकिल से आते इस गली के हालात के चलते गिरे ओर उनका पैर भी टूट गया. इसी कारण उन्हें कई महीने बेड रेस्ट करना पड़ा और टांग टूट जाने के चलते काफी भारी नुकसान भी हुआ.


आपको बता दें अब यहां रहने वाले लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वह दिल्ली में नहीं किसी एक देहात क्षेत्र में रह रहे हैं. जहां पर कभी जनप्रतिनिधि कोई विकास कार्य नहीं कराते. यूं तो राजधानी दिल्ली की यह सबसे पहली विधानसभा है, लेकिन अगर इस कॉलोनी के हालात की बात करें तो उसको देखकर ऐसा लगता है कि शायद यह दिल्ली का हिस्सा नहीं बल्कि किसी अन्य राज्य की कोई बेसुध बसाई गयी कॉलोनियां हो. यहां रहने वाले लोग जनप्रतिनिधियों से लगातार समस्या का समाधान करवाने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों का इस तरफ ध्यान नहीं है.


फिलहाल देखने वाली बात होगी कि आखिरकार इस समस्या का समाधान कब होगा और कब इस गली में रहने वाले लोगों की किस्मत जागेगी और बदहाली की मार झेल रही है लोग कब खुशहाली की जिंदगी जिएंगे.


Input: नसीम अहमद