Delhi News: भारत पर शासन करने के लिहाज से दिल्ली की धरती सभी राजाओं औ शासकों की पहली पसंद रही है . ऐसे में इतिहास से लेकर वर्तमान तक शासन चलाने के लिए सभी शासकों से लेकर सरकारों की भी पसंद दिल्ली ही रही है. तभी तो दिल्ली के कोने-कोने में इतिहास से जुड़े धरोहरों की भरमार है. आज भी दिल्ली की जमीन पर खुदाई करने पर कोई न कोई इतिहास आकर सामने खड़ा हो जाता है. हाल ही में सीरी फोर्ट चिल्ड्रन म्यूजियम (Siri Fort Children's Museum) के सामने रास्ता बनाने का काम चल रहा था. जहां खुदाई के दौरान निकली सुरंग को कारीगर देखकर हैरान हो गए.


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खिलजी वंश के समय की बताई जा रही ये सुरंग
सुरंग का पता चलते ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) को इस बात की जानकारी दी गई. ASI के सर्वे में पता चला कि यह सुरंग 100-200 साल पुरानी नहीं बल्कि तेरहवीं शताब्दी की है. यह वहीं समय था जब दिल्ली पर खिलजियों का शासन था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने इस सुरंग को खिलजी वंश (Khilji Dynasty) का बताया है. फिलहाल इस खुदाई पर एएसआई द्वारा रोक लगा दिया गया है और सुरंग के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है.


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ASI इस सुरंग के बारे में जांच कर रही है
जानकारों का मानना है कि सुरंग के नीचे तहखाना हो सकता है या फिर कोई खुफिया रास्ता भी मौजूद हो सकता है. एएसआई सुरंग से जुड़े अन्य साक्ष्यों को इकट्ठा करने का प्रयास कर रहा है. इससे पता चलेगा कि सुरंग का इस्तेमाल क्यों किया जाता था. खुदाई के बाद सुरंग का अगला हिस्सा साफ-साफ दिखाई दे रहा है. इस सुरंग का आकार इतना ज्यादा बड़ा है कि इसमें आसानी से व्यक्ति जा सकता है. अभी सुरंग में आगे की खुदाई होनी बाकी है जिसके बाद ही पता चलेगा कि इसका रास्ता खुलता कहां पर है? आज भी दिल्ली के जमीन के नीचे अनेकों इतिहास दफन है जिनके बारे में धीरे-धीरे पता चल रहा है.


जांच के बाद ही इस सुरंग का होगा खुलासा 
वैसे सीरी फोर्ट चिल्ड्रन म्यूजियम में घूमने-फिरने बहुत कम लोग ही आते हैं. लोगों को जैसे ही इस सुरंग के बारे में पता चला तो इसे देखने के लिए इक्का-दुक्का लोग आनो लगे हैं. पुरातत्व विभाग इसके बारे में जांच कर रही है. तब ही इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी कि आखिर इस सुरंग का दूसरा छोर कहां को निकलता है और इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता था. 


Input: मुकेश सिंह