नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने आज अपने बजट में शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा राशि खर्च करने की घोषणा की. वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने 16575 करोड़ रुपये का शिक्षा बजट पेश किया है. जाहिर है कि शिक्षा सुविधाओं से देश-दुनिया में अपना डंका बनवा चुकी आप सरकार बजट ने शिक्षा को एक बार फिर तरजीह दी है.


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कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार होने के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री ने बच्चों को भेजे अपने संदेश में कहा था कि वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और परेशान न हों, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली के बच्चे और उनके अभिभावक परेशान हैं और उसका एक बड़ा कारण है निजी स्कूल माफिया की मनमानी, जो सरकार के निर्देशों को खुलेआम हवा में उड़ा रहे हैं. 


दरअसल इस समय स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है. प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी, केजी और क्लास 1 की इकनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS)/ डिसएडवांटेज ग्रुप (DG) और स्पेशल बच्चों (Child with Special needs- CWUSN) कैटेगरी की सीटों के लिए 10 फरवरी से फॉर्म भरना शुरू हुए थे. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से अभिभावकों की शिकायत मिली है कि उनके बच्चों को जो स्कूल अलॉट किए गए हैं, उन्होंने सीट खत्म या अन्य बहाना बनाकर एडमिशन लेने से इनकार कर दिया है.


केस 1: नरेंद्र अपने बेटे तविश का क्लास 1 में एडमिशन करना चाहते हैं. शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए मैसेज में उनके बेटे के लिए पीतमपुरा में स्थित एक निजी स्कूल में सीट अलॉट की गई है. बच्चे के पिता की शिकायत है कि जब उन्होंने एडमिशन के लिए स्कूल से संपर्क किया तो उन्होंने प्रवेश लेने से इनकार कर दिया. नरेंद्र का कहना है अपनी सीट बचाने के लिए स्कूल EWS कोटे के बच्चों का एडमिशन नहीं ले रहे हैं, जबकि उनके बच्चे का नाम उसी स्कूल में आया है. 


शिक्षा मंत्री को लिखा लिखा पत्र 
बच्चे का एडमिशन न होने से परेशान बच्चे के पिता ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री के नाम एक पत्र ट्वीट किया है. उनका कहना है कि स्कूल ने किसी भी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चे को एडमिशन देने से साफ इनकार कर दिया है. वह रोज स्कूल के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. नरेंद्र ने कहा, अगर एडमिशन नहीं हुआ तो बेटे का पूरा साल बर्बाद हो जाएगा। बच्चे के पिता ने जीमेडिया से बातचीत के दौरान बताया कि और भी अभिभावक है जो स्कूल के चक्कर लगा रहे हैं.



निजी स्कूल माफिया की मनमानी का एक और मामला रोहिणी से भी सामने आया है, जहां हर्षिता सिंह नाम की बच्ची को ईडब्ल्यूएस कोटे से एडमिशन देने में स्कूल आनाकानी कर रहा है. बुध विहार निवासी शशि प्रकाश की बेटी हर्षिता का नाम ड्रॉ में शामिल है, लेकिन जब भी वह एडमिशन के लिए स्कूल जाते हैं तो उन्हें स्कूल परिसर के अंदर जाने से रोक लिया जाता है.


बच्ची के पिता ने सांसद तक समस्या पहुंचाई​
पिता शाही प्रकाश ने जी मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि स्कूल के गेट पर ही हर बार उन्हें एक ही जवाब मिल रहा है कि प्रोसीजर चल रहा है, लेकिन धीरे-धीरे जिस तरह एडमिशन का समय खत्म होता जा रहा है, उन्हें बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी है. बच्ची के पिता की यह भी शिकायत है कि स्कूल फोन पर भी बात नहीं कर रहा है. इतना ही नहीं बच्ची के पिता ने एक सांसद तक भी अपनी समस्या पहुंचाई, लेकिन अब तक उन्हें आश्वासन के अलावा वहां से भी कोई राहत नहीं मिल पाई है. 


अब देखना होगा कि क्या ऐसे एक-दो मामले ही हैं या फिर पूरे दिल्ली में निजी स्कूल माफिया अपनी मनमानी पर उतर आए हैं. इस बारे ने शिक्षा मंत्री आतिशी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक बात नहीं हो पाई है.