Delhi News: सोशल मीडिया पर कुछ दिन पहले एक वीडियो जमकर वारयरल हुआ. इस वीडियो में एक SI ने मस्जिद बाहर जुमे की नमाज पड़ रहे लोगों को लात मारते हुए उन्हें वहां से भगाना शुरू किया. हालांकि वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद ही एसआई सस्पेंड कर दिया गया था. यह ममला अब कोर्ट पहुंच गया है जिसपर 1 मई को सुनवाई होगी.
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Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने उत्तरी दिल्ली में एक सड़क पर नमाज पढ़ रहे कुछ लोगों को धक्का देने और लात मारने वाले एक उप-निरीक्षक को तलब करने और उस पर मुकदमा चलाने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है. यह घटना 8 मार्च की दोपहर करीब 2 बजे इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन के पास जुमे की नमाज के दौरान हुई थी.
इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कौशल ने कहा ने अपने बयान में कहा कि दलीलें सुन ली गई हैं. संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) से 1 मई को कार्रवाई रिपोर्ट मांगी जाए. वकील फराज खान ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी के इस ‘बेतुके कृत्य’ ने लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के अलाव समाज में सद्भाव और शांति को बिगाड़ने का काम किया.
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बता दें कि याचिका में अदालत से आरोपी को तलब करने, उस पर मुकदमा चलाने और उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. पुलिस के मुताबिक, उपनिरीक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया गया था. सड़क पर नमाज पढ़ने के दौरान एक नमाजी को कथित रूप से लात से मारने का मामला कोर्ट में पहुंच गया है. स्थानीय अदालत इस पूरे मामले में 1 मई, 2024 को सुनवाई करेगी.
जानें, क्या था पूरा मामला
आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को 8 मार्च, 2024 को बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए पहुंचे थे. ज्यादा भीड़ होने की वजह से कुछ लोग मस्जिद के बाहर बैठकर नमाज पढ़ने लगे, जिसकी वजह से सड़क पर जाम लग गया. इस बीच वहां मौजूद एसआई ने उन्हें लात मारते हुए उन्हें वहां से भगाना शुरू किया. इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हुआ और कोई इसकी निंदा करने लगा. हालांकि वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद ही एसआई सस्पेंड कर दिया गया था.
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मौलाना ने लिखा था गृहमंत्री को पत्र
बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने गृह मंत्री को पत्र में लिखा कि ऐसी घटनाओं से वैश्विक स्तर पर देश की छवि खराब होगी. पुलिसकर्मी के रवैये से पता चलता है कि वो इस्लामोफोबिया से ग्रसित है और सांप्रदायिक शक्तियों की सोच से प्रभावित है. इसलिए वैचारिक सुधार के साथ उसको अपने काम के प्रति जिम्मेदार होने का प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है. ऐसी घटनाएं, जिनमें कानून का पालन कराने वाले लोग 'अपराधी' की भूमिका निभाते हैं, प्रभावित समुदाय पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डालते हैं.
(इनपुटः भाषा)