Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण को रोकने क लिए land lock होना सबसे बड़ी समस्या है. दिल्ली में clean fuel को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है. Electric cars की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. इसी के साथ कूड़े का निपटारा भी बेहतर तरीके से किए जाने की जरूरत है.
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Delhi Pollution: प्रदूषण के मामले में 2022 की सर्दी दिल्ली वालों के लिए थोड़ी सी राहत लेकर आई है. 2018 के बाद 5 साल में पहली बार प्रदूषण अपने सबसे न्यूनतम स्तर पर रहा. उसके बावजूद पूरे NCR रीजन में सबसे प्रदूषित शहर के मामले में दिल्ली ने ही बाजी मारी. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट यानी CSE के सालाना आकलन के मुताबिक इस साल अक्टूबर से जनवरी तक के सर्दी के सीजन में मौसम की मेहरबानी और प्रदूषण के स्तर का सही आकलन करके जो कदम उठाए गए, इन दोनों की वजह से प्रदूषण का स्तर काबू में रहा.
CSE की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दियां शुरू होते ही बारिश हो गई, जिसकी वजह से घना कोहरा नहीं हो पाया. इस साल लगातार 10 दिन ऐसे रहे. जब प्रदूषण के लिहाज से हवा सीरियस (severe) यानी अति गंभीर की श्रेणी में रही. इसके अलावा एक साथ चार दिन घने कोहरे वाले भी रहे. पूरे NCR रीजन में दिल्ली के अलावा फरीदाबाद गुरुग्राम और नोएडा में थी. प्रदूषण के हालात काफी खराब है जबकि NCR के बाकी शहर में हालात इस बार बेहतर रहे.
दिल्ली NCR के सबसे प्रदूषित Hot spot
Jahangirpuri- PM2.5 level of 201 µg/m³.
Anand Vihar- (196 µg/m³)
Wazirpur- (185 µg/m³)
Mundka- (185µg/m³)
Rohini- (182 µg/m³) and
Bawana- (179 µg/m³)
Bahadurgarh- 105 µg/m³,
Gurugram/Faridabad 133 µg/m³
पराली ने इस साल भी दिल्ली का दम घोंटा
इस बार फरहा हीरोइन की घटनाएं पराली जलाने की घटनाएं 55846 रही, जिसकी वजह से दिल्ली में करीब 53 दिनों तक पराली के धुएं का असर रहा, पिछले वर्षों के मुकाबले यह भी कम है. हालांकि पराली के धुएं की वजह से दिल्ली में अक्टूबर से दिसंबर तक 4 टन धुआं गिरा है. यह एनालिसिस पीएम 2.5 के स्तर के आधार पर किया गया. Pm 2.5 इस साल 2018 के मुकाबले 17% कम खतरनाक रहा. इस बार पीएम 2.5 का औसत 160 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था.
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दिल्ली में 3 नवंबर 2022 को पीएम 2.5 का स्तर 401 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा जो कि सबसे ज्यादा यानी पिक था. पिछले 5 साल के मुकाबले में यह भी 27% कम रहा. 2019 में पीएम 2.5 का पिक 542 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रहा. इस बार 10 दिन हवा अति गंभीर कैटेगरी में रही यानी सीवियर. जबकि पिछले साल 24 दिन ऐसे रहे थे. 2018-19 में ऐसे 33 दिन रहे थे. जब हवा बेहद गंभीर की श्रेणी में रही.
पहली बार सर्दी में Good Air Days
इस साल अक्टूबर के महीने में दिल्ली में 5 दिन गुड एयर क्वालिटी वाले रहे जबकि इससे पहले पिछले 5 वर्षों में ऐसा एक बार ही नहीं हुआ था. इस बार गुड एयर क्वालिटी (good air quality days) बारिश होने की वजह से दिल्ली को मिले हैं. इस बार पूर्वी दिल्ली के शहादरा इलाके में हवा में बेहतरी दर्ज की गई. जबकि आरके पुरम, द्वारका और शादीपुर इन तीन इलाकों में हवा पिछले वर्षों के मुकाबले खराब हुई. CSE के मुताबिक, दिल्ली का land lock होना सबसे बड़ी समस्या है. दिल्ली में clean fuel को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है. Electric cars की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. इसी के साथ कूड़े का निपटारा भी बेहतर तरीके से किए जाने की जरूरत है.
(इनपुटः असाइमेंट)