दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यूजी कोर्सेज में किया अब तक का बड़ा बदलाव, बीच में कोर्स छोड़ने पर मिलेगी डिग्री
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यूजी कोर्सेज ने करिकुलम फ्रेमवर्क में कई बड़ बदलाव किए हैं. इनके जरीए छात्र को चार साल के यूजी कोर्स में हर साल कोर्स को छोड़ने का ऑप्शन होगा. पहले साल सर्टिफिकेट के साथ, दूसरे साल डिप्लोमा के साथ, तीसरे साल ऑनर्स के साथ इस यूजी कोर्स को छोड़ने का विकल्प स्टूडेंट्स को मिलेगा.
नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) ने आज यानी गुरुवार को नए अंडर ग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (UGCF) के आधार पर चार साल के ग्रेजुएट कोर्सेज (FYUP) के पहले सेमेस्टर के सिलेबस को मंजूरी दे दी है. विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने इस सिलेबस को मंजूर किया है.
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परिषद के एक सदस्य ने एजेंसी को बताया कि 03 अगस्त को एकेडमिक काउंसिल की मंजूरी के बाद सिलेबस को एग्जीक्यूटिव काउंसिल में मंजूरी के लिए रखा गया था. एजेंडा में शामिल सभी कोर्सेज के FYUP कोर्सेज़ को कार्यकारी परिषद ने पारित कर दिया है. दो सदस्यों ने असहमति नोट भी जारी किया था. नया पाठ्यक्रम शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से लागू किया जाएगा.
यूनिवर्सिटी ने बिजनेस इकोनॉमिक्स में बीए (ऑनर्स), बीए (ऑनर्स) मल्टी-मीडिया और मास कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक साइंस में बीएससी और माइक्रोबायोलॉजी में बीएससी (ऑनर्स) कोर्स का सिलेबस मंजूर किया है. इसे एक स्थायी समिति ने पारित किया है. एक कोर्स कमेटी में पांच प्रोफेसर होते हैं - 2 संबंधित विभाग से और 3 कॉलेज के प्रोफेसर.
इस नियम के अनुसार चार साल के यूजी कोर्स में हर साल कोर्स को छोड़ने का ऑप्शन होगा. पहले साल सर्टिफिकेट के साथ, दूसरे साल डिप्लोमा के साथ, तीसरे साल ऑनर्स के साथ इस यूजी कोर्स को छोड़ने का विकल्प स्टूडेंट्स को मिलेगा. चार साल पूरा करने पर उन्हें ऑनर्स विद रिसर्च मिलेगा. इसे देखते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के 5 साल के इंटिग्रेटेड जर्नलिज्म कोर्स को भी तीन साल में छोड़ने का ऑप्शन अब स्टूडेंट्स को इस नियम के अनुसार मिल सकता है.
कार्यकारी परिषद ने फरवरी में एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रकोष्ठ द्वारा तैयार किए गए अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क-2022 (UGCF-2022) को मंजूरी दी थी. एक स्थायी समिति द्वारा पारित 100 से अधिक ग्रेजुएट कोर्सेज के सिलेबस को बैठक के दौरान अनुमोदन के लिए रखा गया था. परिषद के दो सदस्यों सीमा दास और राजपाल सिंह पवार ने इस फैसले से असहमति भी जताई मगर सर्वसम्मति से इसे पास कर दिया.