बटला हाउस में पानी की किल्लत ने अंगद जैसा पैर जमाया, परेशान लोगों ने पूछा-ऐसे कब तक चलेगा
Delhi Water Crisis: बटला हाउस इलाके के ब्लॉक एम, के और एन के करीब 2000 कई महीनों से पानी खरीदकर यूज कर रहे हैं. कुछ लोगों ने बताया कि परिवार को हर महीने 10 से 15 हजार रुपये पानी पर खर्च करना पड़ रहा है.
नई दिल्ली: जल ही जीवन है. इसे सृष्टि के पंच तत्वों (आकाश, पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल) में स्थान दिया गया है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे जीवन में पानी क्यों है जरूरी, लेकिन दिल्ली में ओखला विधानसभा क्षेत्र के बटला हाउस इलाके में पिछले कई महीने से लोग जल अभाव से जूझ रहे हैं. स्थानीय लोगों की शिकायत है कि इस बारे में संबंधित अधिकारियों और दिल्ली जल बोर्ड को कई पत्र लिखे गए, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है.
दरअसल बटला हाउस इलाके के ब्लॉक एम और एन के निवासी पिछले 7 महीने से गंदे पानी और पानी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. स्थानीय लोग पानी की समस्या को लेकर कई बार अपने क्षेत्र के विधायक और जल बोर्ड के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से शिकायत कर चुके हैं. इतना ही नहीं पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग कई बार प्रदर्शन भी कर चुके हैं, मगर समस्या जस की तस बनी हुई है. कई महीने बीत जाने के बाद भी अब तक उनके क्षेत्र में पीने की पानी की समस्या बनी हुई है, जो कि पूरी कॉलोनी में परेशानी का सबब बनी हुई है.
मिलता है तो सिर्फ गंदा हुए बदबूदार
स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर कभी कॉलोनी में पानी भी आता है तो गंदा और बदबूदार होता है, जिससे हमारे किचन का रखे बर्तन खराब हो जाते हैं. पूरे घर में पानी की दुर्गंध फैल जाती है. ऐसे पानी को यूज करने से बीमारियों का खतरा बना रहता है. हम लोग चाहते हैं कि सरकार हमारी परेशानी को समझे और पानी की समस्या दूर करे. हमें पीने योग्य पानी जाए. पानी हमारे नलों में रेगुलर आए, ताकि हम लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सके.
हर महीने 10 से 15 हजार रुपये खर्च
लोगों ने बताया कि बटला हाउस के एम, एन और के ब्लॉक में पानी की समस्या सबसे ज्यादा है. इलाके के 2000 लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं. उन्हें बाहर से पानी लाने पर 10 से 15 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे कब तक चलेगा. हम लोगों को घरेलू कार्य करने में भी काफी दिक्कतें आ रही हैं. दिल्ली सरकार जल्द से जल्द विचार कर हमें इस समस्या से निजात दिलाए ताकि हम लोगों को जीवन जीने के प्रचुर मात्रा में पानी मिल सके.
इनपुट: हरिकिशोर साह