Delhi Water crisis: राजधानी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में इन दिनों पानी की किल्लत देखने को मिल रही है. लोग कई घंटों तक टैंकर के इंतजार में खड़े रहते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हजारों रुपये खर्च करके पानी मंगा रहे हैं. एक ओर जहां लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्लीजल बोर्ड की लापरवाही की वजह से हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. दिल्ली के कई इलाकों से पानी की बर्बादी की तस्वीरें सामने आई हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इसको संज्ञान में नहीं ले रहे हैं. 


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राजधानी दिल्ली में गर्मी की वजह से लोग परेशान हैं, वहीं चिलचिलाती गर्मी में दिल्लीवासियों को पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है. पानी की कमी को लेकर दिल्ली सरकार हरियाणा पर दिल्ली को पर्याप्त पानी न देने का आरोप लगा रही है. वहीं दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में ही जल बोर्ड की लापरवाही की वजह से कई इलाकों में पानी बर्बाद हो रहा है. पीने के पानी की बर्बादी वाली पहली तस्वीर तिमारपुर विधानसभा के वजीराबाद बाहरी रिंग रोड के नो गजा बाबा दरगाह के पास की है. यहां दिल्ली जल बोर्ड की बड़ी पाइपलाइन का वॉल खराब होने की वजह से जनता को मिलने वाला हजारो लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई महीनो से यहां दिल्ली जल बोर्ड का पानी यूं ही बहता रहता है. शिकायत के बाद भी दिल्ली जल बोर्ड इस पर कोई संज्ञान नही ले रहा है. 



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पानी की बर्बादी वाली यह दूसरी तस्वीर बुराड़ी विधानसभा के बुराड़ी अथॉरिटी के ठीक सामने की है, जहां दिल्ली जल बोर्ड का पानी सड़क पर बर्बाद हो रहा है. सड़क पर बर्बाद होते इस पानी को देखकर भी प्रशासनिक अधिकारी संज्ञान नहीं ले रहे हैं और ना ही आम जनता इसके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार है.



पानी की किल्लत के बीच दिल्ली में पानी की बर्बादी अब कहीं ना कहीं दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर ही सवालिया निशान खड़े कर रही है. पिछले दिनों मंत्री आतिशी ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही थी. अब दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही पर प्रशासनिक अधिकारियों पर कितने रुपए का जुर्माना लगता है यह तो खुद सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को ही सुनिश्चित करना होगा. फिलहाल, चिंता का विषय यह है कि जब दिल्ली बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है, तब राजधानी दिल्ली की सड़कों पर जनता के हिस्से का  हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. आखिर प्रशासनिक अधिकारी इस पर मौन क्यों हैं.


Input- Nasim Ahmad