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Diwali 2022: सारे देश में दिवाली का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. कार्तिक माह की अमावस्या के इस महापर्व पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस साल दिवाली हस्त नक्षत्र और वैधृति योग में मनाई जा रही है, जो सभी के लिए बेहद शुभ फल देने वाली है. 


अमावस्या तिथि- 
कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू- 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 29 मिनट से
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 20 मिनट तक. 


अमावस्या मुहूर्त-
अमावस्या निशिता काल- 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक.
कार्तिक अमावस्या सिंह लग्न का समय-  रात 01 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 44 मिनट तक. 
अभिजीत मुहूर्त का समय- सुबह 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक. 
विजय मुहूर्त- 24 अक्टूबर को 01 बजकर 36 मिनट से 02 बजकर 21 मिनट तक. 


शुभ चौघड़िया मुहूर्त
संध्या मुहूर्त (अमृत, चर)- 5 बजकर 29 मिनट से 9 बजकर 18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ)- 10 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 5 मिनट तक


लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त- शाम 6 बजकर 54 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक
कुल अवधि- 1 घंटा 21 मिनट


 


लक्ष्मी पूजन मंत्र 
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः
ॐ श्रीं श्रीयै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः 
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:


मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता.
तुमको निसदिन सेवत,हर विष्णु विधाता.


उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता.
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता.
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता.
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


जिस घर तुम रहती हो, सब सद्‍गुण आता.
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता...


तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता.
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता.
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता.
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता.
ॐ जय लक्ष्मी माता...


ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता.
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता.