Chandigarh News: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कुत्ते के काटने से संबंधित मामलों में वित्तीय सहायता न्यूनतम 10 हजार रुपये प्रति दांत के निशान पर होगी और जहां मांस त्वचा से खींच लिया गया है, यह न्यूनतम 20 हजार रुपये प्रति 0.2 सेंटीमीटर घाव पर देय होगा. हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य मुख्य रूप से मुआवजे का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगा और उसे राज्य की दोषी एजेंसियों/साधनों या निजी व्यक्ति, यदि कोई हो, से इसकी वसूली करने का अधिकार होगा.


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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ को मवेशियों/जानवरों से होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में मुआवजा निर्धारित करने के लिए समिति गठित करने का आदेश दिया है. लावारिस जानवरों में गाय, बैल, गधे, कुत्ते, नीलगाय और भैंस समेत निर्जन स्थानों पर रहने वाले जानवर शामिल होंगे. जंगली व पालतू जानवरों से होने वाले दुर्घटनाओं मामलों में भी मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है.


हाईकोर्ट के आदेशानुसार समिति में अध्यक्ष के रूप में संबंधित जिले के उपायुक्त (डीसी) और सदस्यों के रूप में एसपी/डीएसपी (यातायात), एसडीएम, जिला परिवहन अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रतिनिधि होंगे. कुछ अतिरिक्त सदस्य, जिन्हें आवश्यकता के आधार पर शामिल किया जा सकता है. उनमें जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, जिला वन अधिकारी, कार्यकारी अभियंता, लोक निर्माण विभाग (बीएंडआर) व नगर निगमों, समितियों के अतिरिक्त आयुक्त/कार्यकारी अधिकारी/सचिव शामिल हैं.


हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि दुर्घटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर घटित हुई है तो परियोजना निदेशक या उसके नामित व्यक्ति और जिस स्थल पर दुर्घटना घटित होने की सूचना है. उस कार्यान्वयन विभाग के कार्यकारी अधिकारी या उसके नामित व्यक्ति को सूचित किया जाएगा. संबंधित राज्यों में मृत्यु/स्थायी विकलांगता से संबंधित दुर्घटनाओं के लिए समिति द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा संबंधित राज्यों में दर्ज नीतियों के अनुसार होगा.


हालांकि, यूटी चंडीगढ़ में दर्ज दावों के संबंध में पंजाब की नीति के अनुसार पीड़ित लोगों को विस्तृत लाभ प्रदान किया जाएगा, क्योंकि उक्त नीति में प्रस्तावित मुआवजा अधिक लाभदायक है. प्राधिकरण मुआवजे को दो या दो से अधिक विभागों के बीच भी बांट सकता है, जहां एक या अधिक ऐसे विभागों की भागीदारी है. समिति द्वारा अपेक्षित दस्तावेजों के साथ दावा दायर किए जाने के चार महीने की अवधि में मुआवजा पारित किया जाएगा.


जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने लावारिस जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में नुकसान के मुआवजे के लिए दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए हैं. यह भी स्पष्ट किया कि मुआवजा की प्रति प्रधान सचिव/सचिव या परियोजना निदेशक (एनएचएआई मामले में) के माध्यम से संबंधित विभागों को भेजी जाएगी, जो मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगे. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगर इस बाबत मामला न्यायालय में लंबित है तो भी तय समय में मुआवजा देना होगा. 


समिति द्वारा नीतियों के तहत मुआवजे को पीड़ित को तत्काल वित्तीय संकट से उबरने में मदद करने के लिए अंतरिम वित्तीय सहायता अनुदान के रूप में माना जाएगा. सिविल न्यायालय के अंतिम निर्णय के आधार पर समिति द्वारा प्रदान की गई राशि से भरपाई की जा सकती है. अगर सिविल न्यायालय ने मुआवजा कम तय किया है और समिति द्वारा मुआवजा ज्यादा जारी कर दिया गया है तो वापस नहीं लिया जा सकेगा.


Input: Vijay Rana