DUSU Election Result 2024: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा 25 नवंबर को समाप्त होगी. सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू हुई है, जिसमें दो राउंड की गिनती पूरी हो चुकी है. ताजा रुझानों के अनुसार, एनएसयूआई के उम्मीदवार रौनक खत्री 2,471 वोटों के साथ आगे हैं, जबकि ABVP के ऋषभ चौधरी को 1,829 वोट मिले हैं। उपाध्यक्ष पद के लिए भी एनएसयूआई के यश नडाल 1,900 वोटों के साथ आगे चल रहे हैं, जबकि ABVP के भानु प्रताप को 1,366 वोट मिले हैं. इस चुनाव में एनएसयूआई की बढ़त साफ नजर आ रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

करीब दो महीने की देरी के बाद, सोमवार को नॉर्थ कैंपस में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों के लिए मतगणना शुरू हो गई. मूल रूप से 28 सितंबर को घोषित होने वाले नतीजों को दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद स्थगित कर दिया गया था, जिसमें विश्वविद्यालय को विजेताओं की घोषणा करने से पहले अभियान के दौरान हुई गड़बड़ी को साफ करने की आवश्यकता थी.


ये भी पढ़ें: Ghaziabad: यति नरसिंहानंद को किया गया नजरबंद, डासना मंदिर के बाहर तैनात फोर्स


 इस साल के चुनावों में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली है, जिसमें 21 उम्मीदवार चार प्रमुख केंद्रीय पैनल पदों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. अध्यक्ष पद के लिए आठ उम्मीदवार, उपाध्यक्ष पद के लिए पांच और सचिव तथा संयुक्त सचिव पद के लिए चार-चार उम्मीदवार मैदान में हैं. अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख खिलाड़ी आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), कांग्रेस समर्थित भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का वामपंथी गठबंधन है.


उपाध्यक्ष पद के लिए प्राथमिक दावेदारों में एबीवीपी के भानु प्रताप सिंह, एनएसयूआई के यश नांदल और एआईएसए के आयुष मंडल शामिल हैं. सचिव पद के लिए एबीवीपी की मित्रविंदा करनवाल का मुकाबला एनएसयूआई की नम्रता जेफ मीना और एसएफआई की अनामिका के से है. इसी तरह संयुक्त सचिव पद की दौड़ में एबीवीपी के अमन कपासिया का मुकाबला एनएसयूआई के लोकेश चौधरी और एसएफआई की स्नेहा अग्रवाल से है. वर्तमान में, DUSU में चार केंद्रीय पैनल पदों में से तीन पर ABVP का कब्जा है, जबकि NSUI उपाध्यक्ष पद पर काबिज है. इस चुनाव के नतीजे विश्वविद्यालय के भीतर राजनीतिक गतिशीलता को आकार देंगे, जो प्रमुख छात्र संगठनों के बीच वैचारिक लड़ाई को दर्शाता है.