Faridabad Flood: यमुना के बढ़े जलस्तर की वजह से हरियाणा और दिल्ली में पानी का रौद्र रूप देखने को मिला, जिसकी वजह से कई लोगों का घर डूब गया. अपनी जान बचाने के लिए लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली. अब बाढ़ का पानी कम होने के बाद एक बार फिर लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं, लेकिन सब कुछ बर्बाद हो गया है. घर में रखे जरूरत के सभी सामान पानी भरने की वजह से नष्ट हो गए हैं तो वहीं दीवारों में भी दरारे आ गई हैं. ZEE MEDIA की टीम ने फरीदाबाद यमुना के साथ लगती हुई कॉलोनियों में पहुंचकर पीड़ित लोगों से बातचीत की. 


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तस्वीरों में दिखाई दे रहा नजारा बसंतपुर के अटल चौक का है, जहां जिंदगी लोग एक बार फिर जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. कंधे पर बैग टांगकर लोग काम पर लौटते नजर आ रहे हैं, क्योंकि दो वक्त की रोटी के लिए कमाना भी जरूरी है. 


25 साल से इस कॉलोनी में रहनी वाली एक महिला ने बताया कि वो खेती करके अपना जीवन चलाती हैं, लेकिन बाढ़ की वजह से सब कुछ बर्बाद हो गया. घर में भी पानी घुस गया था, जिसकी वजह से फ्रिज, टीवी सहित घर में रखा सारा सामान नष्ट हो गया है. पहले भी बाढ़ आई थी, लेकिन उस समय इतनी बर्बादी नहीं हुई. केवल खेती का नुकसान हुआ था. इस बार काफी नुकसान हुआ है, खेती के साथ-साथ समान भी खराब हो गया. हम खाने-कमाने वाले लोग हैं, अगर कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या? अभी तक तो सरकार की तरफ से खाना मिल रहा था अब वो भी बंद हो गया है. अभी कम से कम 02 महीने तक परेशानी ऐसे ही बनी रहेगी. 


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यहां रहने वाले भगवान नाम के व्यक्ति ने बताया कि अभी पानी नीचे उतर गया है, इसके पहले और भी बुरा हाल था. यहां के लोगों ने बहुत परेशानी झेली है, अब बिजली, पानी की काफी समस्या हो रही है, सब कुछ नष्ट हो गया है. हमारा तो केवल यहां पर गोदाम था, इसलिए ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. यहां सब गरीब परिवार से हैं जो कमा कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. 


अन्य पीड़ित ने बताया कि बाढ़ के बाद तो पानी निकल गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा. चारो तरफ पानी भरा हुआ है, गड्ढों में मच्छर की दवाइयां डालने के लिए प्रशासन की तरफ से लोग आए, लेकिन वो सड़क से ही निकल गए. कॉलोनी में दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं. हमें कहा गया था बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा मिलेगा, लेकिन उसके बाद कोई खबर नहीं है कि गरीब को राशन या मुआवजा कब मिलेगा. पिछले 12 दिनों से यहां लाइट नहीं है. 


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बाढ़ पीड़ित महिला ने बताया कि यहां आंख की बीमारी फैल रही है, काफी परेशानियों में जी रहे हैं. इस समय अगर कोई नेता आकर हमें मदद करे तो हम उसे बहुत अच्छा मानेंगे, लेकिन वो तब आएंगे जब चुनाव हो. 


आजाद नाम के व्यक्ति ने बताया कि यहां की जनता काफी परेशान है, यहां बिजली नहीं है, पीने के लिए पानी नहीं है. इस समय जो बीमारी के हालात है, सबसे ज्यादा आंखों और पेट की बीमारी फैल रही है. प्रशासन को इस समय अपनी मेडिकल गाड़ियों को भेजना चाहिए, हालात ज्यादा बिगड़ने से पहले प्रशासन को एक्शन लेने की जरूरत है. 


इस्माइलपुर की कॉलोनी में बाहर बैठकर अपने भाई को पढ़ा रहे 7 साल के बच्चे अभिषेक ने बताया कि घर में बिजली नहीं आ रही. सारी किताबें भी बह गई हैं, हमने कुछ किताबें ऊपर रख दी थी, बस वह बच गई हैं. हमारा सब कुछ डूब गया. 


बाढ़ के बाद घर लौटीं बबली बताती हैं कि बाढ़ आने के बाद दोनों बच्चों को लेकर यहां से अक्षरधाम चले गए थे, वापस आए हैं तो देखा सब कुछ बर्बाद हो चुका है. घर में रखा सारा सामान टूट गया है. मकान में दरारें आ गई हैं.


Input- Amit Chaudhary