Faridabad: नाराज अभिभावक बोले- ज्यादातर निजी स्कूल नेताओं और अधिकारियों के इसलिए चल रही मनमानी
ग्रीवेंस कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करने आए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने एक अभिभावक ने स्कूलों की कितबों समेत कई तरह के चार्ज लगानें मामला सामने रखा. जिसमें उन्होंने स्कूल द्वारा मनमाने रेट पर अवैध रूप से बेची जा रही किताबों और तरह-तरह के चार्ज के नाम पर वसूली की शिकायत की.
Faridabad: ग्रीवेंस कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करने आए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने एक अभिभावक ने स्कूलों की कितबों समेत कई तरह के चार्ज लगानें मामला सामने रखा. जिसमें उन्होंने स्कूल द्वारा मनमाने रेट पर अवैध रूप से बेची जा रही किताबों और तरह-तरह के चार्ज के नाम पर वसूली की शिकायत की. जिसपर मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को एक पॉलिसी बनाने के आदेश दिए, जिससे कि इस पर रोक लग सके और अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से निजात मिल सके.
मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद अभिभावक एकता मंच और कई अभिभावकों से इस संबंध में बात की और यह जानने की कोशिश की. जिसमें यह बातें सामने निकल कर आई कि ज्यादातर अभिभावकों को निजी स्कूलों द्वारा इसी तरह की मनमानी का शिकार होना पड़ता है.
दरअसल ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में हर साल अभिभावकों से एनुअल चार्ज के नाम पर, किताबों के नाम पर, ड्रेस के नाम पर भारी-भरकम बोझ डालने का काम किया जाता है, जिससे अभिभावक परेशान हैं. ज्यादातर स्कूलों ने अपनी ड्रेस और किताबों के लिए दुकानें फिक्स की हुई हैं. वहां पर मनमाने रेट पर सामान बेचा जाता है, जिससे न चाहते हुए भी अभिभावकों को वह सामान मनमाने दामों में खरीदना पड़ता है. अभिभावकों के मुताबिक वह कई बार इस संबंध में शिकायत भी करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती.
अभिभावकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ढंग से नहीं हो पाती इसीलिए उन्हें मजबूरन अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजना पड़ता है. वहां उनसे बच्चों की पढ़ाई के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है. हर साल फीस में बढ़ोतरी की जाती है, हर साल बच्चे का एडमिशन चार्ज भी देना होता है. स्कूल में एडमिशन के समय एक भारी-भरकम फीस का बिल बनाकर अभिभावकों के हाथ में थमा दिया जाता है. ऐसे में अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के चलते पिस कर रह जाता है.
इस संबंध स्कूल के बच्चों का कहना है कि अगर सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई होने लगे तो वह प्राइवेट स्कूलों में क्यों पढ़ेंगे. प्राइवेट स्कूलों में हर वर्ष फीस के नाम पर उनके परिवार पर अच्छा खासा बोझ डाला जाता है. ऐसे में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना उनकी मजबूरी है.
इस पूरे मामले को लेकर हरियाणा अभिभावक एकता मंच के महासचिव कैलाश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने मुख्यमंत्री के आदेशों को एक अच्छी पहल बताया. उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल लगातार अभिभावकों को लूटने का काम कर रहे हैं. हर साल अलग-अलग फीस के नाम पर अभिभावकों की जेब काटने का काम करते हैं. अब मुख्यमंत्री द्वारा निर्देश दिए जाने से क्या होगा क्योंकि अब फीस सभी स्कूल ले चुके हैं. किताबें लग चुकी है तो अब इसका क्या फायदा है? कैलाश शर्मा ने प्राइवेट स्कूलों की पोल खोलते हुए कहा कि अधिकतर प्राइवेट स्कूल नेताओं और अधिकारियों के हैं, जिसके चलते उन पर कार्रवाई नहीं हो पाती और सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से यह सब कुछ चलता रहता है.
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर फरीदाबाद की जिला शिक्षा अधिकारी मुनेष चौधरी ने कहा कि अधिकतर फरीदाबाद में सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी अच्छी है. उनमें काफी अच्छी संख्या में बच्चे भी पढ़ते हैं. साथ ही उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर कहा कि वह समय-समय पर टीम बनाकर स्कूलों में भेजते हैं. सबूत न होने के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती और जिन स्कूलों के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो उनके खिलाफ उच्च अधिकारियों को लिखकर ऊपर भेज दिया जाता है. उच्च अधकारियों की तरफ से कार्रवाई ना होने के चलते लगातार प्राइवेट स्कूलों के हौसले बढ़ रहे हैं. हालांकि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस पर संज्ञान लिया है, लेकिन कब पॉलिसी बनेगी और कब धरातल पर उतरेगी, उसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए निर्देश पर आखिर कब तक कार्यवाही होती है. कब तक नई पॉलिसी बनती है और धरातल पर काम करती है, जिससे प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी पर रोक लग सके. ताकि अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से निजात मिल सके.
Input: नरेंद्र शर्मा