Fatehabad Crime: सिविल सर्जन कार्यालय में बन रहे फेक दिव्यांगता प्रमाण पत्र, 2 क्लर्क समेत 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
Fatehabad Crime News: फतेहाबाद से फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने का मामला सामने आया है. जिसमें दो क्लर्क और 19 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. बता दें कि पिछले साल ये मामला आया था, लेकिन सीएम फ्लाईंग की जांच के बाद अब इस मामला में कार्रवाई की गई.
Disability Certificate: दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने में फर्जीवाड़ा के खबर लगातार सामने आ रही है. ऐसी ही एक मामला फतेहाबाद से सामने आया है. जहां सिविल सर्जन कार्यालय के 2 क्लर्क समेत 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सीएम फ्लाइंग की शिकायत पर यह मामला दर्ज हुआ. आरोपी क्लर्क डॉक्टरों की मूल्यांकन रिपोर्ट के बिना और रिपोर्ट में बदलाव कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी कर देते थे.
बता दें कि डॉक्टर्स की मूल्यांकन रिपोर्ट पर तय होता है कि आखिर किसी व्यक्ति की दिव्यांगता कितने प्रतिशत हैं. ऐसे ही फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे 19 लोगों ने पेंशन बनाकर इसका लाभा उठाया. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच की शुरू कर दी है.
फतेहाबाद के सिविल सर्जन कार्यालय में दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने में फर्जीवाड़े को लेकर सीएम फ्लाईंग को शिकायत दी गई थी. जिसके आधार पर स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. कार्यालय के दो तत्कालीन क्लर्कों के अलावा 19 ऐसे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिन्होंने फर्जी तरीके से दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाया और उसके आधार पर पेंशन और अन्य लाभ ले रहे थे. यह मामला पिछले साल सामने आया था, सीएम फ्लाईंग द्वारा जांच के बाद अब मामला दर्ज करवाया गया है.
पुलिस को दी शिकायत में सीएम फ्लाइंग की ओर से बताया गया है कि सिविल सर्जन कार्यालय में क्लर्क द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के डिजिटल साइन का दुरुपयोग कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे थे. इस मामले की धांधली करने के बारे सूचनाएं मिली थी. जिस पर जांच करवाई गई तो पाया गया कि किसी भी व्यक्ति का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाने के लिए चिकित्सकों की एक टीम द्वारा जांच करने के बाद ही मूल्यांकन शीट दी जाती है, जिसके आधार पर दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जारी होता है.
उन्होंने बताया कि विभाग का क्लर्क दीपेश एक व्यक्ति की दिव्यांगता मूल्यांकन शीट अपलोड कर रहा था तो उसे पता लगा कि यह शीट पहले से ही न केवल अपलोड है बल्कि उसमें दिव्यांगता मूल्यांकन भी गड़बड़ी है. उन्होंने बताया कि इसके बाद दीपेश ने अपने स्तर पर जांच की तो पाया कि 21 जून 2022 से 8 जुलाई 2022 तक कुल 240 दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी हुए, जिनमें से 39 प्रमाण पत्र बिना मूल्यांकन शीट के ही अपलोड कर दिए गए थे. जिस पर उसने तुरंत सिविल सर्जन को अवगत करवाया था और यह भी बताया कि वह पोर्टल की कम जानकारी होने के चलते पूर्व क्लर्क विक्रम से मदद लेता रहा है.
उन्होंने बताया है कि एक मामले में एक लड़की की 50 प्रतिशत दिखाई गई थी, लेकिन उसकी मूल्यांकन शीट अपलोड किए बिना ही प्रमाण पत्र में उसकी दिव्यांगता 100 प्रतिशत दिखा दी गई है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए जाने में जब गड़बडियां सामने आई तो एक जांच कमेटी बनाई गई. कमेटी ने 1 जनवरी 2018 से 31 जुलाई 2022 तक बने 3769 प्रमाण पत्रों की जांच की. जिसमें से 922 प्रमाण पत्रों की सत्यता संदिग्ध मिली, 842 संदिग्ध ही रहे और 80 प्रमाण पत्र झूठे पाए गए. जांच के दौरान सामने आया कि 80 में से 6 फर्जी पत्र क्लर्क रवि द्वारा और 74 फर्जी पत्र विक्रम द्वारा बनाए गए हैं. इन 80 लोगों में से 19 लोग ऐसे हैं जो दिव्यांगता पेंशन का लाभ भी ले रहे थे. जिसके बाद संबंधित विभाग ने 6 लोगों की पेंशन रोक दी है.
Input: अजय मेहता