न्यायाधीश ने ऐसा निर्णय लिया की पूरे कोर्ट परिसर में उनकी वाहवाही हुई. यह निर्णय लेकर उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है कि चाहे कोई अपराधी हो या याचिकाकर्ता, जरूरतमंद बच्चों की मदद करना हमारा कर्तव्य है.
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फतेहाबाद: इस कलयुग में भी कोई इंसान दूसरे इंसान की मदद करता है तो लगता है कि इस दुनिया में अभी भी इंसानियत जिंदा हैं. ऐसा ही एक उदाहरण जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया की अदालत में देखने को मिला. एक मामले में टोहाना से अदालत में पेश होने दो महिलाएं आई तो उनके साथ उसका बच्चा भी आया था, जो की नंगे पैर था. महिलाओं के मुकदमे की सुनवाई न्यायाधीश डीआर चालिया कर रहे थे. तभी उनकी नजर बच्चे के नंगे पैरों पर पड़ी, जिससे उनका दिल पसीज गया. न्यायाधीश डीआर चालिया ने तुरंत जूते मंगवाकर बच्चे को दिए.
बच्चे को देखकर उन्होंने कहा कि इतनी तेज गर्मी में बच्चा नंगे पैर कैसे चलकर आया. न्यायाधीश की इस दयालुता की पूरे कोर्ट परिसर में खूब सराहना हुई. उन्होंने समाज में एक मिसाल कायम की कि चाहे कोई अपराधी हो या याचिकाकर्ता, जरूरतमंद बच्चों की मदद करना हमारा कर्तव्य है.
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