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Ghaziabad Crime News: गाजियाबाद के साइबर थाने में डिजिटल अरेस्ट को लेकर शिकायत दर्ज हुई है. शिकायत भेल (BHEL) रिटायर्ड डीजीएम द्वारा कराई गई है, इसमें डीएम को तीन दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके उनसे 10.50 लाख रुपए की ठगी की गई है. गाजियाबाद में पिछले कुछ ही महीना में 24 डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं. ताजा मामला गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके के रिटायर्ड भेल के डीजीएम से जुड़ा है. जिनको तीन दिन तक साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 10.50 लख रुपए की ठगी को अंजाम दिया.
दरअसल, भेल कंपनी में डीजीएम के रूप में सेवाएं दे चुके वसुंधरा के रहने वाले गोपाल कृष्ण अदलखा को पहले एक व्हाट्सएप कॉल आया और उसके बाद स्काइप से वीडियो कॉल आई. जिसमें कॉल करने वाला अपने आप को पुलिसकर्मी बताते हुए उन्हें मनी लॉड्रिंग के मामले से जुड़ा बताया. इसके बाद जब गोपाल कृष्ण ने उसे अपने सीनियर अधिकारी से बात करने को कहा तब वह किसी अन्य व्यक्ति का फोन आने को कहा.
इसके कुछ देर बाद ही एक साइबर ठग वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर बातचीत ती और किसी गुप्ता व्यक्ति द्वारा मनी लांड्रिंग केस में 300 से ज्यादा लोगों का नाम बताएं और उनमें से एक नाम गोपाल कृष्ण का होना भी बताता है. जिनके अकाउंट में कुछ दिन पहले कई मिलियन रुपए की रकम ट्रांसफर होना बताया जाता है. जिसको लेकर तमाम नोटिस और वारंट तक उन्हें दिखाए जाते हैं, तमाम तरीके के कानूनी दास पेज और सजा की बात कह कर उन्हें लगातार दो दिन तक किसी अन्य व्यक्ति से जिक्र न करने और लगातार उनके संपर्क में बने रहने को कहा जाता है.
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मानसिक रूप से साइबर अपराधी गोपाल कृष्ण को पूरी तरह अपने कब्जे में लेने के बाद 10.50 लाख रुपए की रकम उनसे सिक्योरिटी मनी के रूप में मांगते हैं. जिसे के सॉल्व हो जाने के बाद उन्हें वापस देने का भरोसा भी देते हैं. गोपाल कृष्ण जब साइबर अपराधियों द्वारा दिए गए अकाउंट में वह रकम आरटीजीएस कर देते हैं. तब आ रही कॉल पर वापस कॉल करने पर अपराधियों का फोन नहीं उठाता है, जिसके बाद गोपाल कृष्ण को अपने साथ हुई ठगी का एहसास होता है. जिसके बाद उन्होंने पूरा मामला गाजियाबाद के साइबर थाने में दर्ज करवाया.
पूरे मामले को लेकर जहां पुलिस अधिकारी जिस बैंक में रकम ट्रांसफर की गई है, उस बैंक के अधिकारियों के साथ संपर्क साधने के साथ में अपनी जांच आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं. वहीं अधिकारी ऐसे साइबर ठगों से सचेत रहने की भी अपील कर रहे हैं.
एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि कभी भी पुलिस ऐसे नोटिस वारंट या पूछताछ को वीडियो कॉल के माध्यम से नहीं करती. यदि आवश्यक भी हो तो उससे पहले नोटिस देने के बाद ही ऐसा करने की बात कहते हुए नजर आते हैं. इसके साथ मैं एडीसीपी क्राइम लोगों को इस बात के लिए भी सचेत करते हुए नजर आए के लोगों को जहां ऐसी कॉल को समय देने से पहले धैर्य पूर्वक सोच विचार कर ही कोई कार्य करना चाहिए. इसके साथ में ओटीपी पासवर्ड किसी के साथ भी शेयर नहीं करने चाहिए.
Input: Piyush Gaur