Ghaziabad: 166 साल पहले जिस पेड़ पर लटकी थीं 100 से ज्यादा लाशें, कुर्बानी के इस गवाह से मिले हैं आप?
गाजियाबाद के थाना मोदीनगर इलाके में एक ऐसा गांव है, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम किरदार रहा है.
Ghaziabad News: गाजियाबाद के थाना मोदीनगर इलाके में एक ऐसा गांव है, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम किरदार रहा है. बता दें कि मोदीनगर थाना इलाके के सिकरी खुर्द गांव में एक ऐसा बरगद का पेड़ है, जिस पर 100 से ज्यादा क्रांतिकारी को फांसी दी गई थी.
1857 की क्रांति के दौरान बरगद के पेड़ पर 100 से ज्यादा क्रांतिकारियों को दी गई फांसी
आपको बता दें कि गाजियाबाद के मोदीनगर में सिकरी खुर्द विशेष रूप से अपनी पहचान रखता है. क्योंकि इतिहासकारों के मुताबिक 1857 की क्रांति के दौरान एक बरगद के पेड़ पर 100 से ज्यादा क्रांतिकारियों को अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया था. यह पेड़ सिकरी खुर्द के महामाया मंदिर में स्थित है. जहां पर सिकरी माता का प्रसिद्ध मेला लगता है और लाखों की संख्या में भक्त नवरात्रि के दौरान यहां आते हैं. मोदीनगर का नाम पहले बेगमाबाद हुआ करता था और बता दें कि यह काफी पुराना सिकरी माता मंदिर है.
ये भी पढ़ें: DMRC New Rule: यात्रिगण दें ध्यान! अब QR टिकट में होगा ये बड़ा बदलाव, जानें यहां
शहीद दिवस, स्वतंत्रता दिवस पर क्रांतिकारियों को दी जाती है श्रद्धांजलि
मंदिर के पुजारी देवेंद्र शास्त्री से जब इस बरगद के पेड़ के बारे में बातचीत की गई तो पुजारी ने बताया बरगद के पेड़ पर 100 से ज्यादा क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया गया था. इस पेड़ की काफी मान्यता है. शहीद दिवस, स्वतंत्रा दिवस आदि पर यहां क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है. आम दिनों में जब श्रद्धालु मंदिर में आते हैं तब पेड़ पर कलावा बांधकर क्रांतिकारियों को अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. जानकारी के मुताबिक यह पेड़ 400 से 500 साल पुराना है और लगातार अपने आकार में बढ़ रहा है.
जानें अंग्रेजों को क्रांतिकारियों पेड़ पर क्यों दी फांसी?
कृष्णकांत शर्मा जो कि पेशे से प्रोफेसर रहे हैं उनका कहना है कि आजादी की क्रांति के दौरान जब अंग्रेजों को क्रांतिकारियों का पता चला तो अंग्रेजों ने दमनकारी नीति के तहत सिकरी खुर्द पर आक्रमण किया. उसी के दौरान क्रांतिकारी एक हवेली में इकट्ठे हो गए थे. उस दौरान अंग्रेजों द्वारा हवेली में छिपे क्रांतिकारी पर तोप से भी हमले किए गए. हवेली में से कुछ क्रांतिकारी मंदिर के तहखाने में आकर छुप गए थे, जिसकी भनक अंग्रेजों को लगने पर अंग्रेजों ने उन्हें तहखाने से निकालकर मंदिर प्रांगण में स्थित बरगद के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया. तभी से यह मंदिर और यह बरगद का पेड़ लोगों के लिए श्रद्धा और देशभक्ति का प्रतीक बना.
Input: Piyush Gaur