Haryana Job Recruitments: हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन आने वाले दिनों में करीब 60000 भर्तियां करने जा रहा है. यह भर्तियां C और D ग्रुपों में की जाएगी. इस बारे में जानकारी देते हुए एचएसएससी के चेयरमैन भोपाल सिंह खदरी ने बताया कि C ग्रुप में 32000 भर्तियां, D ग्रुप में 12000 भर्तियां, 6000 महिला एवं पुरुष कांस्टेबल, 7500 टीजीटी व अन्य भर्तियां की जाएगी. इन भर्तियों के लिए करीब 10 लाख उम्मीदवारों ने अप्लाई कर दिया है.


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उन्होंने कहा कि हम फिर से पोर्टल को खोलने जा रहे हैं ताकि जिन लोगों ने अप्लाई नहीं किया है वह भी इसमें अप्लाई कर सकें. सीटीईटी (CTET) के फार्म में क्वालिफिकेशन को अपडेट न कर पाने के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमने सीईटी में ग्रुप C के लिए 12वीं और ग्रुप D के लिए 10वीं की न्यूनतम योग्यता मांगी है. अगर कोई छात्र इसके बाद अगली पढ़ाई भी करता है तो उसे सीईटी में वह अपडेट करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब वह अपनी नौकरी के लिए फॉर्म भरेगा वह उस हिसाब से अपनी अधिकतम योग्यता वहां भर सकता है.


कांस्टेबल भर्ती में ऑर्फन कैटेगरी में उठे विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि जब हमारे द्वारा परिणाम तैयार किया गया.  तब हमारे पास इस कैटेगरी को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन नहीं थी, जिस वजह से यह गलती हुई. हमने इस गलती को कोर्ट में स्वीकार भी किया है. अब हम उम्मीदवारों का फिर से परिणाम तैयार कर रहे हैं. ताकि योग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी जा सके. हाईकोर्ट में अक्सर आने वाले मामलों को लेकर, उन्होंने कहा कि हर मामले में हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन की गलती नहीं होती, जिन मामलों में गलती होती है उसे हम स्वीकार करते हैं.


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उन्होंने आगे कहा कि टीजीटी की परीक्षा में हमने सीटेट उम्मीदवारों को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन बाद में वो लोग हाईकोर्ट में चले गए और कुछ उम्मीदवारों को हाईकोर्ट से सीटेट की परीक्षा के लिए आज्ञा मिल गई थी. कई बार गलत प्रश्नों से जुड़ा मुद्दा उड़ जाता है. हम इस बात को मानते हैं कि प्रश्न पत्रों में कई बार गलत प्रश्न छप जाता है क्योंकि कई बार पेपर सेट करने वाला व्यक्ति उत्तर भारत से नहीं होता. इसलिए उसे कई मामले में जानकारी की कमी होती है और इस वजह से गलतियां हो जाती हैं.


उन्होंने आगे कहा कि पेपर के बाद हम बच्चों को 2 से 3 दिन का समय देते हैं ताकि अगर कोई गलती हुई हो सुधारा जा सके, लेकिन कई बच्चे नौकरी पाने के लालच में परिणाम आने के बाद हाईकोर्ट में चैलेंज कर देते हैं जो सही नहीं है. इसको लेकर हमने हाईकोर्ट से भी प्रार्थना की है कि वह ऐसे बच्चों के केस न्यायालय अगर कोई बच्चा समय रहते कोई ऑब्जेक्शन उठाता है तब हम भी उसका जवाब देंगे, लेकिन परिणाम आने के बाद ऐसा करना सही नहीं है.


(इनपुटः विजय राणा)