Coal Gasification Policy: देश की ऊर्जा जरूरतों, युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने और 2070 तक जीरो इमिशन का लक्ष्य पाने के लिए सरकार कोल गैसिफिकेशन पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है. कोल गैसिफिकेशन मतलब कोयले से गैस बनाने की प्रक्रिया से सरकार ने 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोल गैस (Coal Gas) उत्पादन का लक्ष्य रखा है. साथ ही पॉलिसी को धरातल पर उतारने के लिए 6000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. कोल मिनिस्ट्री पहले ही कह चुकी है कि इन परियोजनाओं से देश में विदेशी मुद्रा की बचत होगी और करीब 23000 जॉब सृजित होंगी. 


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Coal Gasification के लिए 6000 करोड़ के Viability Gap Funding (VGF) के लिए जल्द टेंडर निकालने की योजना भी है. यह पॉलिसी भारत के लिए इस मामले में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी मदद से एक ओर कार्बन का कम उत्सर्जन होगा, जो कि पर्यावरण के लिहाज से सही होगा, वहीं दूसरी ओर गैस आपूर्ति में मदद मिलेगी. जब जी मीडिया ने इस बारे में कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बात की तो उन्होंने कहा कि इस 6000 करोड़ के VGF के टेंडर में छोटी-बड़ी कई कंपनियां भाग लेंगी. 


कोल गैसिफिकेशन की अभी सटीक टेक्नोलॉजी नहीं 
प्रह्लाद जोशी ने कहा, दुनियाभर में कोल गैसिफिकेशन की कोई सटीक टेक्नोलॉजी नहीं है, लेकिन देश में Thermax कंपनी ने इस टेक्नोलॉजी पर काम किया है. इस कंपनी की टेक्नोलॉजी हमारे लिए एक उम्मीद की किरण है. 


कोयले का नहीं होगा अभाव 
कोल गैसिफिकेशन की प्रक्रिया में कोयले की कमी न हो, इसके लिए मिनिस्ट्री ऑफ कोल ने कोल इंडिया लिमिटेड और  SCCL को विशेष निर्देश दिया है. गैसिफिकेशन कोल के लिए अलग से बोली लगवाई जाएगी. कोल इंडिया लिमिटेड कोल गैसिफिकेशन प्लांट बनाने के लिए BHEL, IOCL, GAIL जैसी कंपनियों के साथ पहले ही करार कर चुकी है.


प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर को जोड़ा जाएगा 
कोल गैसिफिकेशन को बढ़ावा देने और प्राइवेट सेक्टर को आकर्षित करने को लेकर प्रह्लाद जोशी ने कहा, कोल गैसिफिकेशन प्लांट तैयार करने के लिए कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान है. यह मैक्सिमम 15 फीसदी तक हो सकती है. इसका फायदा प्राइवेट और पब्लिक, दोनों कंपनियों को मिलेगा. 50 फीसदी फाइनेंशियल पेमेंट अपफ्रंट कर दिया जाएगा, जबकि बकाया का भुगतान प्लांट तैयार होने के बाद किया जाएगा.


हिंदुस्तान कॉपर का विनिवेश फिलहाल नहीं
Hindustan Copper के विनिवेश से जुड़े सवाल पर कोयला मंत्री ने कहा कि फिलहाल कोई योजना नहीं है. ग्रीन एनर्जी को लेकर उन्होंने कहा कि कोल सेक्टर ने माइनिंग से होने वाली परेशानियों को गंभीरता से लिया है. सप्लाई और एनवायरनमेंट पर असर में बैलेंस बनाने की कोशिश की जा रही है. हमारा लक्ष्य है कि नॉन-फॉसिल्स फ्यूल से 50 फीसदी एनर्जी का उत्पादन किया जाए. उन्होंने यह भी कहा, धीरे-घीरे पर कैपिटा पावर कंजप्शन को बढ़ाने पर भी जोर है. 2070 तक अगर जीरो इमिशन का लक्ष्य पाना है तो कोल गैसिफिकेशन पॉलिसी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.


गोल्ड माइनिंग एक्सप्लोरेशन पर भी चल रहा काम
गोल्ड माइनिंग को लेकर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि इस दिशा में भी काम चल रहा है. पिछले पांच साल में 13 गोल्ड ब्लॉक की नीलामी हो चुकी है. गोल्ड एक्सप्लोरेशन में ज्यादा समय और पैसा लगता है. रेयर मिनरल्स एक्सप्लोरेशन से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि GSI यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इस दिशा में काम कर रहा है. बीते पांच साल में देश के अलग-अलग कोने में GSI ने 172 प्रोजेक्ट्स में एक्सप्लोरेशन का काम किया है.