Haryana News: पूर्व सांसद एवं आम आदमी पार्टी के प्रांतीय प्रचार कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने प्रदेश की नगर निकाय विभाग की ओर से शनिवार एवं रविवार को हरियाणा के सभी जिलों में प्रॉपर्टी टैक्स की खामियों को दूर करने के लिए लगाए गए कैंपो को ढकोसला बताया है. शनिवार को जारी बयान में डॉ. तंवर ने कहा कि करीब 2 वर्ष पूर्व याशी कंपनी द्वारा प्रॉपर्टी आईडी ऑनलाइन करने को लेकर किए गए सर्वे का खामियाजा प्रदेश की जनता आजतक भुगत रही है.


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गलत सर्वे के बावजूद पेमेंट
उन्होंने कहा कि सिरसा में करीब 90 से 95 हजार आईडी में से अब तक 25 हजार के करीब ही आईडी ठीक हो पाई हैं. अभी भी सिरसा में हजारों आईडी का सर्वे गलत हुआ पड़ा है, जिनको ठीक करने में अभी काफी महीने लगेंगे. ऐसे में महीने में एक या दो दिन कैंप लगाकर इतनी ज्यादा संख्या में गलत आईडी को ठीक नहीं किया जा सकता. अशोक तंवर ने कहा कि जब सिरसा की प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे याशी कंपनी के जिम्मे सौंपा गया था, तो ऐसे में इन आईडी को ठीक करने का कार्य भी याशी कंपनी से लिया जाना था. परंतु प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया. जिस गलत सर्वे को याशी कंपनी ने किया है. ऐसे में अब नगर परिषद के कर्मचारियों से उन्हें ठीक करवाया जा रहा है जोकि ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि जब याशी कंपनी को सर्वे करने के नाम पर पूरी पेमेंट की गई है तो ऐसे में नगरपरिषद के कर्मचारियों से आईडी ठीक क्यों करवाई जा रही है.


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आईडी में उलझी जनता
डॉ. अशोक तंवर ने कहा कि प्रदेश की जनता आईडी में ही उलझकर रह गई है. पहले याशी कंपनी की तरफ से किए गए गलत प्रॉपर्टी आईडी सर्वे और बाद में परिवार पहचान पत्र आईडी से प्रदेश की जनता पूरी तरह से उलझकर रह गई है. प्रॉपर्टी आईडी और पीपीपी आईडी ठीक करवाने के लिए प्रदेश की जनता आज तक विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काट रही है. हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से प्रॉपर्टी आईडी में दर्ज खामियों को दूर करने के लिए कैंप लगाए गए हैं. ऐसे में महीने में एक या दो बार कैंप लगाकर औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. इतनी अधिक संख्या में पेंडिंग पड़ी प्रॉपर्टी आईडी को ठीक नहीं किया जा सकता.


सर्वे गलत तो पेमेंट क्यों? 
इसके साथ ही अशोक तंवर ने कहा कि याशी कंपनी की ओर से पूरे प्रदेश में गलत सर्वे किया गया था. इस सर्वे के तहत सिरसा की हजारों प्रॉपर्टी आईडी को किसी और के नाम पर दिखाया गया है. साथ ही सर्वे में प्रोपर्टीधारकों के प्रॉपर्टी का रकबा, प्रॉपर्टी धारकों के नाम, उनके मोबाइल नंबर सहित अन्य त्रुटियों को किसी और या किराएदारों के नाम पर दिखाकर याशी कंपनी सर्वे को बीच में ही छोडक़र चली गई. इसके बावजूद नगरपरिषद की ओर से कंपनी का अधूरे सर्वे पर पेमेंट करना अपने आप संदेह पैदा करता है. डॉ. तंवर ने सवाल किया कि यदि याशी कंपनी का सर्वे गलत है तो किसके दबाव में नगर परिषद के अधिकारियों ने याशी कंपनी की पेमेंट की. उन्होंने इस पूरे मामले की विजिलेंस जांच की मांग की है.