Haryana Asha Worker Protest: बल्लभगढ़: हरियाणा में आशा वर्कर्स की हड़ताल जारी है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि सभी आशा वर्कर का न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26000 किया जाए. इसी के चलते आशा वर्कर लगातार सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही हैं. इसी कड़ी में आज बल्लभगढ़ की सैकड़ों की संख्या में आशा वर्कर्स एकत्रित होकर पैदल मार्च करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के कार्यालय का घेराव किया. 


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जहां भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने बेरिकेटिंग लगाकर प्रदेश की आशा वर्कर यूनियन अध्यक्ष समेत मौजूद सैकड़ो की संख्या में मौजूद आशा वर्कों को केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के कार्यालय के अंदर जाने से रोक दिया. जिसके बाद आशा वर्कर वहीं सड़क पर ही कृष्णपाल गुर्जर और सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे और अपनी मांगों को लेकर विरोध दर्ज करवाया.


भीषण गर्मी में सैकड़ो की संख्या में इकट्ठे होकर मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के कार्यालय के बाहर उनके और सरकार के खिलाफ नारे लग रही आशा वर्कर्स में उसे समय अफरा-तफरी मच गई जब उनके बीच मौजूद एक आशा वर्कर भीषण गर्मी के कारण बेहोश हो गई, जिन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद कृष्ण पालगुर्जर के ऑफिस कार्यालय अधिकारी ने आकर आशा वर्कर्स की मांगों को लेकर दिया गया ज्ञापन स्वीकार किया. साथ ही जल्द से जल्द ज्ञापन को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन भी दिया.


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केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के कार्यालय का घेराव कर रही सैकड़ो जिला आशा वर्कर्स के साथ राज्य अध्यक्ष सीटू हरियाणा व आशा वर्कर यूनियन हरियाणा प्रदेश की अध्यक्ष सुरेखा ने बताया कि आज हमें पता था मंत्री यहां नहीं होंगे, लेकिन वह हमसे कब बात करेंगे यह जानने के लिए हम लगातार आते रहेंगे. अब इनको भी चुनाव के लिए जरूरत पड़ रही है तो गांव की तरफ जा रहे हैं, न केवल हम यहां आकर पूछ रहे हैं बल्कि अब जब यह गांव में भी जा रहे हैं तो हम वहां भी लगातार पूछ रहे हैं. कि आपके मन में क्या है. 20000 हरियाणा की आशा वर्कर जो बेहद स्वस्थ बुनियादी सुविधाएं हैं वह गर्भवती महिलाओं नवजात शिशु तक पहुंचती हैं. आज वह सारे काम ठप पड़े हैं. शिशुओं की मौत हो रही है. टीकाकरण समय पर नहीं हो रहा है और यह मलेरिया का सर्वे भी और डेंगू का सर्वे तक भी आशाएं करती थी.


उन्होंने कहा कि हमारे किसी अधिकारी ने मांग पत्र पर बातचीत नहीं की है. जब मंत्री मिलते हैं तो कहते हैं कि हम जल्द बात करके समाधान निकलवाएंगे, लेकिन आज महिलाओं को प्रदर्शन करते हुए 42 दिन हो गए हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. सरकार यह सोचती है कि अगर हमें थका देंगे, हरा देंगे, निराश कर देंगे. उन्होंने कहा कि जब हमारा नाम ही आशा हो गया तो ना हम थकने वाले हैं, न हारने वाले हैं, न निराश होने वाले हैं. हम लड़ाई लड़ेंगे और अपना हक लेकर ही दम लेंगे.


प्रदर्शन के दौरान आज एक और आशा वर्कर के बेहोश हो जाने के सवाल पर जवाब देते हुए आशा वर्कर यूनियन प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए सरकार जिम्मेदार है. साथ ही कहा कि 27 तारीख की रात को महिला को थाने में बैठा लिया गया. वहां शौचालय में ताले लगा दिए, वाटर कूलर हटा दिए गए, महिलाओं को पीने का पानी नहीं दिया गया. इसी के चलते हमारी एक कर्मी की मौत हो गई. यह तो सरकार है. 


उन्होंने कहा कि हम मजबूर हैं. हम इसलिए मजबूर है कि जब मरना ही है तो धूप में मरे, नारे लगाकर मरे, या घर में भूख से मरे, इससे बेहतर है कि सड़क पर मरे. तो वहीं सुधा जिला सचिव आशा वर्कर ने बताया कि पहले भी कृष्ण पालगुर्जर को ज्ञापन देने के लिए आए थे, तब भी वह हमें नहीं मिले थे. उनके बेटे ने आश्वासन देकर भेज दिया था, लेकिन आज फिर हम यहां पर एकत्रित हुए और यहां बताया गया है कि 22 तारीख को हम बातचीत करेंगे, लेकिन हम बता देना चाहते हैं कि जल्द से जल्द इसका समाधान किया जाए नहीं तो 25 तारीख को जेल भरो आंदोलन का फैसला लिया गया है. 


Input: अमित चौधरी