Haryana News: गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाने का हुड्डा ने किया विरोध, सरकार से की ये मांग
Haryana News: पूर्व CM और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाए जाने पर अपना विरोध जताया, इसके साथ ही बाढ़ पीड़ितों और किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही है.
Haryana News: हरियाणा के पूर्व CM और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर रहे हैं. रविवार को हुड्डा फतेहाबाद और सिरसा जाएंगे, जहां वो प्रभावित लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं के बारे में जानेंगे. पत्रकारों से चर्चा के दौरान हुड्डा ने अपने दौरे की जानकारी दी, साथ ही बासमती चावल के निर्यात, बाढ़ग्रस्त लोगों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले मुआवजे सहित कई मुद्दों पर अपनी राय रखी.
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाए जाने पर अपना विरोध जताते हुए कहा कि चावल के निर्यात पर रोक लगाने से किसानों को भारी नुकसान होगा. खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के किसान इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. क्योंकि, इस बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल को अच्छा दाम मिलने की उम्मीद है, इसका लाभ किसानों को मिल सकता है. सरकार की तरफ से धान की खरीद देरी से शुरू की जाती है, इसमें प्रति एकड़ की कैप भी लगा दी जाती है. ऐसे में 1 अक्टूबर से होने वाली सरकारी खरीद से पहले किसानों को प्राइवेट एजेंसियों को अपनी फसल बेचनी पड़ती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल बेचने के उद्देश्य से निर्यातक किसान की फसल खरीदते हैं और किसानों को उचित रेट मिल पाते हैं, लेकिन सरकार ने अब यह रास्ता बंद कर दिया है.
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि साल 2008 में यूपीए सरकार के दौरान जब निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया गया था तो मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने खुद प्रधानमंत्री से इसके बारे में बात की थी. उसके बाद यूपीए सरकार ने प्रतिबंध को हटा दिया था. इसके चलते किसानों को धान के अच्छे रेट मिले थे. अब हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार को भी केंद्र से इस बारे में बात करनी चाहिए और किसानों का पक्ष केंद्र सरकार के सामने रखना चाहिए.
इसके साथ हुड्डा ने एक बार फिर बाढ़ ग्रस्त लोगों के मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ने टालमटोल के मकसद से एकबार फिर जनता को पोर्टल के हवाले कर दिया है. जबकि किसानों को खेती, दुकानदारों को कारोबार और लोगों को मकान में हुए नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत सहायता की जरूरत है. सरकार बिना देरी किए किसानों को 40 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे. साथ ही मकान, दुकानदारों और अन्य कारोबारियों को हुए नुकसान का आंकलन करके उन्हें भी उचित मुआवजा दे.