Haryana Bulldozer Action: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर नूंह में हरियाणा सरकार द्वारा आरोपितों के घरों को बुलडोजर द्वारा तोड़ने पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन पर आधारित बेंच ने इस मामले में सरकार को 11 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर तोड़े गए निर्माणों की जानकारी तलब की है.


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 कोर्ट ने समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेकर हरियाणा सरकार से पूछा, क्या तय कानूनी प्रक्रिया के तहत यह कारवाई की जा रही है.  कोर्ट ने पिछले दो हफ्तों में की गई डिमोलिशन की जानकारी तलब करते हुए पूछा है कि क्या उन्हे गिराए जाने से पहले नोटिस किया गया था. कोर्ट ने पूछा पिछले दो सप्ताह में नूंह और गुरुग्राम दोनों में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं और क्या इससे पहले कोई नोटिस जारी किया गया था. अगर आज ऐसा कुछ किया जाना है तो कानून के अनुसार प्रक्रिया का पालन न होने पर उसे रोका जाना चाहिए. 


हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में सहयोग दिए जाने के लिए एडवोकेट क्षितिज शर्मा को कोर्ट मित्र नियुक्त किया है. सोमवार सुबह बेंच ने हरियाणा के एडवोकेट जनरल को कोर्ट रूम में बुलाकर हरियाणा सरकार की नूंह में बुलडोजर कार्रवाई की आलोचना की. कोर्ट ने कहा कि नूंह में विशेष वर्ग को बुलडोजर का निशाना बनाया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि नियमों के खिलाफ नोटिस जारी किए बगैर निर्माण गिराना उचित नहीं है. कोर्ट ने कहा की सरकार की यह कार्रवाई लोगों के अधिकारों का हनन है. इसलिए इसको तुरंत रोका जाना चाहिए.


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कोर्ट ने हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री की खुलेआम इस बाबत दिए गए बयानबाजी पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने राज्य के गृह मंत्री ने खुद कहा है कि सांप्रदायिक हिंसा की जांच में  बुलडोजर इलाज का हिस्सा है. कोर्ट उक्त समाचार सामग्री संज्ञान फाइल के साथ संलग्न करने का आदेश देते हुए कहा कि लॉर्ड एक्टन ने कहा है शक्ति भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति पूर्णत  भ्रष्ट करती है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हम राज्य को नोटिस जारी करने के लिए बाध्य हैं, क्योंकि यह हमारे संज्ञान में आया है कि हरियाणा राज्य अनावश्यक बल का  प्रयोग कर रहा है. 


मुद्दा यह भी उठता है कि क्या कानून-व्यवस्था की समस्या की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है और राज्य द्वारा जातीय सफाए की कवायद की जा रही है. कोर्ट ने एक बार तो मंत्री से भी इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा देने का आदेश जारी किया, लेकिन बाद में कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह ),राज्य के डीजीपी को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया. कोर्ट ने एजी से पूछा कि जो निर्माण गिराए जा रहे हैं क्या उनको नोटिस जारी किए गए थे. इस पर एजी ने कहा कि वो इस बाबत की जांच करवाकर कोर्ट को अवगत करवाएगें.


Input: VIJAY RANA