Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह रविवार को चंडीगढ़ पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि वन-मित्र स्कीम के तहत वन-मित्रों की भर्ती की जाएगी, जिनको पौधों की देखभाल करने के लिए मानदेय दिया जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वन विभाग द्वारा वन -क्षेत्र में  पहले से लगे हुए तथा हर वर्ष पौधारोपण अभियान के तहत लगाए जाने वाले पौधों की ड्रोन से नियमित मैपिंग की जाए. वन भूमि पर आग लगने पर बुझाने में देरी होने पर फोरेस्ट -गॉर्ड से लेकर उच्चाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय की जाएगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पौधों की ग्रोथ पर 5 वर्ष तक रखी जाए नजर 
मुख्यमंत्री नायब सिंह ने रविवार को चंडीगढ़ में वन एवं वन्य जीव विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की.  इस अवसर पर उन्होंने प्राण वायु देवता स्कीम का ब्रॉशर का विमोचन भी किया. बैठक में पर्यावरण वन एवं वन्य जीव राज्यमंत्री श्री संजय सिंह भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वन- क्षेत्र से अवैध कटाई को कतई सहन नहीं किया जाएगा. अगर इसमें किसी कर्मचारी की सहभागिता पाई गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने प्रति वर्ष वन विभाग द्वारा बरसात के मौसम में चलाए जाने वाले वृक्षारोपण अभियान की विस्तार से समीक्षा की और कहा कि इन पौधों की जियो -टैगिंग की जाए तथा ड्रोन की मदद से 5 साल तक उनकी ग्रोथ पर नजर रखी जाए. 


ये भी पढ़ें- NEET विवाद को संसद में उठाने की कपिल सिब्बल ने राजनीतिक पार्टियों से की अपील


जंगलों में वन्य जीवों के लिए रखें पाने का पानी 
मुख्यमंत्री नायब सिंह ने जंगलों में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से जीव जंतु तो मरते ही हैं, करोड़ों रुपये की लकड़ी  का नुकसान होता है. साथ ही प्रदूषण भी फैलता है. अगर आगजनी की घटना होने पर आग बुझाने में अनावश्यक देरी हुई तो वन विभाग के फारेस्ट गॉर्ड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारी नपेंगे. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कलेसर, सुल्तानपुर जैसे नेशनल पार्क और अन्य गहरे जंगलों में नहरों या ट्यूबवैलों से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाए, ताकि ज्यादा गर्मी में वन्य जीवों के लिए यह पानी पीने के काम आ सके. इससे आगजनी की घटना होने पर आग बुझाने में सहयोग मिल सकेगा. मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि इस वर्ष 2024 -25 में 150 करोड़ रुपये का बजट पौधारोपण के लिए आवंटित किया गया है, जबकि हर्बल पार्क के लिए 10 करोड़ खर्च किए जाएंगे. 75 वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ पेड़ों की देखभाल करने वालों को राज्य सरकार द्वारा "प्राण वायु देवता" स्कीम के तहत 2750 रुपये प्रति वर्ष पेंशन देने की योजना चलाई गई है. इस योजना के तहत अभी तक 3819 पौधों की पहचान की गई है.


इनपुट- VIJAY RANA