Haryana Day: कैसे हुआ कृषि प्रधान क्षेत्र हरियाणा का गठन, जानें इसकी अनोखी पहचान की कहानी
Haryana Day 2022: पंजाब से अलग होकर बना राज्य हरियाणा देश के सभी राज्यों में से अलग है. कृषि प्रधान क्षेत्र होने की कारण इसे ग्रीन लैंड ऑफ इंडिया कहा जाता है.
Haryana Foundation Day 2022: पंजाब (Punjab) से अलग होकर बना राज्य हरियाणा अपना 56वां स्थापना दिवस (56th Foundation Day) मना रहा है. 1 नवंबर 1966 में हरियाणा का गणन किया गया था जिसे हरियाणा वासी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाते हैं. तब से लेकर आज तक हरियाणा में कई बदलाव हुए हैं. आज हरियाणा भारत का ऐसा राज्य बन गया है जहां के लोग कई क्षेत्रों में भारत और अपने राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं. इतना ही नहीं हरियाणा को फूड बाउल ऑफ इंडिया (Food Bowl of India) और साथ ही कृषि प्रधान क्षेत्र होने की कारण इसे ग्रीन लैंड ऑफ इंडिया (Green Land of India) भी कहा जाता है.
राज्य निर्माण के लिए बनी थी Commission
23 अप्रैल 1966 को पंजाब के विभाजन और उसमे से नए राज्य हरियाणा की नई सीमाओं को निर्धारित करने के लिए भारत सरकार ने शाह कमिशन की स्थापना की. 31 मई 1966 को कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की. उस रिपोर्ट में करनाल, गुडगांव, रोहतक, महेंद्रगढ़ और हिसार जिलों को नए राज्य हरियाणा का भाग बनाया गया. साथ ही इसमें संगरूर जिले की जींद और नरवाना तहसील और नारैनगढ़, अंबाला और जगाधरी तहसील को भी शामिल किया गया था.
बाकी राज्यों से बनाई एक अनोखी पहचान
हरियाणा का रहन सहन, खाना पीना बाकी और राज्यों से अलग है. इसी कारण 22 जिलों वाले इस राज्य ने देश में एक अनोखी पहचान बनाई है. बात चाहे कुश्ती, मुक्केबाजी, निशानेबाजी या हॉकी की करें, यहां के खिलाड़ियों का ही कब्जा है. योगेश्वर दत्त (Yogesh Dutt), सुशील कुमार (Sushil Kumar), संदीप सिंह (Sandeep Singh), बबीता फोगाट (Babita Phogat), गीता फोगाट (Geeta Phogat), शूटर दादी (Shooter Dadi) जैसे दिग्गज खिलाड़ी इंटरनेशल लेवल पर अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं. इसी के साथ ही हरियाणा के नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इतना ही अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला (Kalpana Chawla) का जन्म भी हरियाणा में ही हुआ था.
राज्य के नाम की उत्पत्ति
हरियाणा के नाम की जन्म के संबंध में कई व्याख्याएं हैं. हरियाणा एक प्राचीन नाम है. पुरानी समय में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रहमोप्देस के नाम से जाना जाता था. ये नाम हरियाणा की भूमि पर ब्रह्मा-देवता के उद्भव पर आधारित हैं अर्थात आर्यों का निवास और वैदिक संस्कृतियों और अन्य संस्कारों के उपदेशों का घर कहा जाता है. वहीं रोहतक जिले के बोहर गांव से मिले शिलालेख केअनुसार, इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से जाना जाता था. 1337 विक्रम संवत के दौरान बलबन की अवधि से शिलालेख संबंधित है. बाद में, सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में पाए गए पत्थर पर 'हरियाणा' शब्द अंकित किया गया था. धरणिधर अपने कार्य अखण्ड प्रकाश में कहते हैं कि 'यह शब्द हरिबंका से आता है और हरि की पूजा व भगवान इंद्र से जुड़ा हुआ है. चूंकि सूखा भूभाग है, इसके लोग हमेशा इंद्र (हरि) की बारिश के लिए पूजा करते हैं'. एक अन्य विचारक, गिरीश चंदर अवस्थी, ऋग्वेद से इसकी उत्पत्ति का सुराग लगाते हैं कि जहां हरियाणा नाम को योग्यता के लिए राजा (वासुराजा) विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है. उन्होंने कहा कि राजा ने इस क्षेत्र पर शासन किया और इस तरह से इस क्षेत्र को उसके बाद हरियाणा के नाम से जाना जाने लगा.
ये भी पढ़ें: Akshay Navami पर आंवले का महत्व, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
कौन सा जिला कब बना
रोहतक, गुरुगांव, महेंद्रगढ़, हिसार, जींद, अंबाला और करनाल- 1 नवंबर 1966
सोनीपत, भिवानी- 22 दिसंबर 1972
कुरुक्षेत्र- 23 जनवरी 1973
सिरसा- 26 अगस्त 1975
यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल- 1 नवंबर 1989
पंचकूला- 15 अगस्त 1995
फरीदाबाद- 15 अगस्त 1997
झज्जर, फतेहाबाद- 15 जुलाई 1997
नूंह- 4 अप्रैल 2005
पलवल- 15 अगस्त 2008
चरखी दादरी- 1 दिसंबर 2016