सुनो सरकार! शिक्षामंत्री के गृह क्षेत्र में ही स्कूल का क्या बना डाला हाल, कब्जाधारी कर रहे मौज
Haryana Education: 7 साल हो गए आज तक कोई समाधान नहीं हुआ. शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें दे चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. स्कूल की जमीन पर कब्जा धारियों का कब्जा नहीं हटा.
यमुनानगरः चाहे सरकारी स्कूल हो या फिर अन्य सरकारी विभाग इन सब में सुविधाओं का टोटा लगा ही रहता है, लेकिन आज हम बात करेंगे सरकारी स्कूल की. स्कूल में शौचालय की सुविधा, पीने के पानी की सुविधा, बच्चों के बैठने के लिए ड्युल बेंच की सुविधा, स्कूल में सभी कुछ है, लेकिन इस स्कूल पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है और कब्जा करने के बाद अपने पशुओं को भी बांधना शुरू कर दिया. आइये देखिए मेरे साथ इस स्कूल की जीरो ग्राउंड से रिपोर्ट...
जब Zee मीडिया की टीम ने स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के कमरे में प्रवेश किया तो सभी बच्चे नीचे बैठे हुए थे. इसका मतलब साफ था कि स्कूल में ड्यूल बैंच नहीं है, जब बच्चों को नीचे बैठे का कारण वहां की टीचर से पूछा तो यहां की मैडम ने कुछ और ही बताया. उन्होंने कहा कि यह एक सरकारी स्कीम है, जिसके तहत बच्चों को नीचे बैठा कर एक्टिविटी करवाई जाती है. बच्चों को U टाइप या O टाइप स्थिति में बिठाया जाता है और उनसे एक्टिविटी कराई जाती है. मेंटैलिटी और फिजिकल सही रहता है.
शिक्षा मंत्री गृह क्षेत्र में पड़ता है ये स्कूल
अगर बात करें इस गांव के स्कूल की यह स्कूल यमुनानगर के प्रतापनागर का स्कूल है जो कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री चौधरी कंवर पाल गुज्जर के गृह क्षेत्र में पड़ता है. कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर शिक्षा मंत्री का पैतृक गांव भी है. इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर भी हैं, पीने के लिए पानी भी है, शौचालय है ड्यूल बेंच है, लेकिन क्या स्कूल पर हुए कब्जे को लेकर सरकार के कानों तक यह बात नहीं पहुंची. या फिर शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी इस स्कूल की तरफ देखने नहीं आया.
इससे तो लगता है कि अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठकर टाइम पास कर रहे हैं. स्कूल बाउंड्री के नाम पर खुला पड़ा हुआ. ये स्कूल गवाही दे रहा है कि कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है. वहीं कुछ एरिया में स्कूल के टीचरों ने अपने पैसे से तार लगवाई ताकि खुले पड़े स्कूल में कोई आवारा पशु या आवारा कुत्ता घुसकर बच्चों को नुकसान न कर दे. पवन गुप्ता समाज सेवक ने क्या कहा कि एक समाज सेवक से बात की गई, जिन्होंने स्कूल बाउंड्री और अवैध कब्जे को लेकर लगातार आवाज उठाई है.
शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक दें चुके हैं शिकायत
उन्होंने कहा कि 7 साल हो गए आज तक कोई समाधान नहीं हुआ. जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें दे चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. स्कूल की जमीन पर कब्जा धारियों का कब्जा नहीं हटा. स्कूल बिना बाउंड्री पड़ा है. बच्चे कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं. स्कूल की बाउंड्री न होने की वजह से स्कूल में एक बार आवारा कुत्ता घुसकर बच्चे को काट चुका है, तो वहीं मिड डे मील से सामान चोरी भी हो चुका है.
उन्होंने आगे बताया कि छोटे-छोटे बच्चों के लिए यह समाजसेवी संघर्ष करने में तो लगा हुआ है, लेकिन शिक्षा विभाग और सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. जब बच्चों की छुट्टी हुई है तो हम स्कूल के पास पहुंचे थे जो समाज सेवक ने बातें कही थी वह सच निकली. बच्चे स्कूल से अपने घर के लिए उसी पानी से निकलकर जा रहे थे. जब हमने बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बताया कि वह हर रोज ही से पानी से निकलकर स्कूल आते हैं और घर जाते हैं.
कब्जा धारी बने स्कूल स्कूल अधिकारी
बच्चों को लेने पहुंचे अभिभावक ने कहा कि स्कूल में कोई दिक्कत नहीं है, पीने का पानी हो या शौचालय या पढ़ाई को लेकर सब ठीक है. वहीं पर अगर स्कूल की जमीन पर कब्जा धारियों के बात की जाए तो स्कूल प्रधानाचार्य और जिला शिक्षा विभाग ने उन्हीं कब्जा धारियों को ही स्कूल मैनेजमेंट समिति का प्रधान बनाया हुआ है, तो फिर कब्जा कैसे हटेगा? इसे राजनीतिक दबाव कहे या फिर शिक्षा विभाग की अनदेखी, लेकिन जी मीडिया की टीम ने अपनी पूरी रिपोर्ट में स्कूल पर हुए कब्जा धारियों का खुलासा कर दिया है.
(इनपुटः कुलवंत सिंह)