भिवानी: लंबे समय से वन रैंक-वन पेंशन में विसंगतियों में सुधार की पूर्व सैनिकों ने मांग उठाई. जहां मांगो नजरअंदाज कर रही केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली के खिलाफी रविवार को पूर्व सैनिकों का गुस्सा फूटा. उन्होंने देशभर में सांसदों के माध्यम से राष्ट्रपतिद्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा. इसी कड़ी में भिवानी में भिवानी, चरखी दादरी और महेंद्रगढ़ तीन जिलों के पूर्व सैनिक एकत्रित हुए. सभी ने स्थानीय नेहरू पार्क से रोष प्रदर्शन शुरू करते हुए सांसद चौ. धर्मबीर सिंह के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के नाम ज्ञापन सौंप लंबित मांगों को पूरा किए जाने की गुहार लगाई. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ज्ञापन के माध्यम से पूर्व सैनिकों ने रखी ये मांगे: 
- वन-रैंक-वन पेंशन में वेतन विसंगति दूर किए जाने (OROP)
- एक समान मिलट्री सर्विस पे दिए जाने (Military Service Pay)
- 2017 के बाद आए प्रीमेच्योर पेंशनर को ओआरओपी में शामिल करने (Premature Pensioner to add in OROP)
- एक समान डिसेबिलिटी पेंशन (Disability Pension)
- एक समान विधवा पेंशन (Widow Pension)
- रिजर्व भेजे गए जवानों को ओआरओपी में शामिल करने
-जेसीओ और ऑनरेरी रैंक को ओआरओपी का लाभ दिए जाने की मांग की.


ये भी पढ़ें: Delhi: तुगलकाबाद किले की जमीन पर बुलडोजर एक्शन, ASI की जमीन को कराया जा रहा खाली


इस मौके पर पूर्व सैनिकों ने कहा कि एक सैनिक अपने परिवार से दूर होकर देश सेवा और रक्षा में अहम भूमिका निभाता है. जिसके बाद जब उसका कार्यकाल समाप्त हो जाता है तो उसका एकमात्र सहारा पेंशन ही होता है. जिसे भी केंद्र सरकार डकारना चाहती है. इस मंशा को पूर्व सैनिक पूरा नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक पिछले लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी सुनवाई करने की बजाए उन्हें कमजोर समझ रही है. उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


उन्होंने कहा कि आज देशभर में सांसदों के माध्यम से मांग सरकार तक पहुंचाई गई है. उन्होंने कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी. साथ ही कहा कि मांग जल्द पूरी न होने पर वे दिल्ली कूंच कर संसद का घेराव तक भी करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार 2014 में किए गए वादे को पूरा करे नहीं तो 2024 के चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ेगा.


Input: नवीन शर्मा