New Delhi: हरियाणा की इंटरनेशनल बॉक्सर और भीम अवार्डी स्वीटी बूरा ने एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड पंच लगाया है. उन्होंने फाइनल मुकाबले में कजाकिस्तान की बॉक्सर को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता है. जोर्डन में हुई एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 81 किलोग्राम भारवर्ग गोल्ड मेडल जीता है. इससे पहले स्वीटी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं. इतना ही नहीं स्वीटी बूरा शादी के 4 महीने के बाद पहली बार मैदान में उतरते ही स्वर्ण पदक जीता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: Earthquake Delhi-NCR: उत्तराखंड के बाद दिल्ली-NCR में दूसरी बार भूकंप के तेज झटके, 5.4 मापी गई तीव्रता


हरियाणा की इंटरनेशनल बॉक्सर स्वीटी बूरा की शादी 7 जुलाई 2022 को रोहतक के दीपक हुड्डा के साथ हुई थी. उन्होंने शादी से पहले और बाद में प्रैक्टिस लगातार जारी रखी. वहीं उनके पिता ने कहा कि उनकी बेटी काफी मेहनत करती है. ये उसने एक बार फिर पदक जीतकर करके दिखाया है. वहीं उनकी बहन सीवी बूरा ने बताया कि शादी के बाद स्वीटी की जिंदगी में काफी बदलाव आया, लेकिन उनको कभी खेल से दूर नहीं किया गया. 


बता दें कि 10 जनवरी 1993 को हरियाणा के हिसार में एक किसान परिवार में स्वीटी बूरा का जन्म हुआ था. वहीं उनके पिता भी नेशनल लेवल पर बास्केटबॉल खेलते थे. स्वीटी बॉक्सिंग में जाने से पहले पहले राज्य स्तर की कबड्डी खिलाड़ी थीं. इसके बाद 2009 में अपने पिता के कहने से स्वीटी बूरा ने अपना करियर बनाने के लिए बॉक्सिंग को चुना था. उनके पिता का यह फैसला एकदम सही साबित हुआ. शुरू में उनका प्रशिक्षण हरियाणा में ही हुआ. इसके बाद उच्च प्रशिक्षण के लिए उन्हें हरियाणा से बाहर जाना पड़ा. बता दें कि स्वीटी के नाम अब तक 2 रजत 1 कांस्य और एक गोल्ड मेडल दर्ज हो चुके हैं. 


वहीं उनकी जीत पर हरियाणा के सीएम मनाहर लाल ने ट्वीट कर कहा कि एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में म्हारी छोरी का गोल्डन पंच. प्रसिद्ध भारतीय महिला मुक्केबाज, हरियाणा की बेटी स्वीटी बूरा को #AsianBoxingChampionship में स्वर्ण पदक जीतने पर ढेर सारी बधाई. आप सदैव देश-प्रदेश का नाम रोशन करती रहें, ऐसी कामना करता हूं.



वहीं बात करें उनके पति दीपक हुड्डा की तो भी कबड्डी के महारथी हैं. छोटी उम्र में ही मां-बाप का साया सिर से उठ जाने के कारण उनके ऊपर घर की जिम्मेदारी आ गई. उनके घर में उनकी शादीशुदा बहन अपने 2 बच्चों के साथ रहती थी, जिनको पढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अच्छी नौकरी के लिए कबड्डी खेलना शुरू किया. दीपक हुड्डा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय लेवल पर 5 गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में सफल रहे हैं.