Haryana Kisan Protest: सिरसा के लघु सचिवालय (Sirsa Mini Secretariat) के बाहर विभिन्न किसान संगठनों ने आज विरोध प्रदर्शन किया. किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा. किसानों का कहना है कि एक तो प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों की फसल खराब हुई है. दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने गेहूं पर जो कटौती की है वह फैसला गलत है. उन्होंने कहा कि भले ही राज्य सरकार ने यह कहा है कि इस कटौती को वहन राज्य सरकार करेगी, लेकिन सरकार को यह फैसला लेना ही क्यों पड़ा. उनकी मांग है कि सरकार अपने इस फैसले को वापस ले. इसके साथ किसानों ने अपनी कई मांगों को प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखा.


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वहीं भिवानी में भी संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के बैनर तले किसान संगठनों (Farmer Union) ने ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों की गिरदावरी कर मुआवजा देने की मांग की. साथ ही गेहूं की गुणवत्ता में रेट कटौती न करने को लेकर उपायुक्त कार्यालय भिवानी के सामने प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा.


मांगे पूरी न होने पर किसान करके तेज आंदोलन
सिरसा में किसानों का आरोप है कि पिछले दिनों हुई बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की सैंकड़ो एकड़ फसल खराब हो गई थी. जिसके स्पेशल गिरदावरी के आदेश सरकार ने दिए थे, लेकिन अभी तक स्पेशल गिरदावरी नहीं हुई है. वहीं किसानों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने सभी फसले MSP पर खरीदने का आश्वासन दिया था. अब मंडियों में सरसों की फसल MSP पर नहीं खरीदी जा रही है. किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया तो आने वाले दिनों में किसान इससे भी तेज आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे.


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सिरसा के किसानों का आरोप है कि सरसों और गेहूं की कटाई का काम चल रहा है. अगर ऐसे में बची हुई फसल की भी कटाई हो गई तो सरकार स्पेशल गिरदावरी कैसे करवाएगी. किसानों ने सरकार से जल्द से जल्द नुकसान का पूरा मुआवजा देने की मांग की है. इसके साथ ही पीएम फसल बिमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) के तहत कंपनियों की ओर से हुए नुकसान के क्लेम की मांग भी की है. किसानों का आरोप है कि मंडी में गेहूं और सरसों की खरीद को लेकर भी प्रशासन ने उचित प्रबंध नहीं किए हैं. मंडियों में MSP पर सरसों की खरीद नहीं हो रही है. किसानों को मजबूरन न्यूनतम दामों पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ रही है. हरियाणा सरकार ने सहकारी बैंकों से लिए गए फसली ऋणों पर पैक्स के सदस्यों से ब्याज वसूलने का निर्णय लिया है. पिछले 10 सालों से फसली ऋणों पर ब्याज नहीं लिया जा रहा था. किसानों ने कहा कि इस बार किसानों पर पहले से ही मौसम की मार पड़ी है, इसलिए सरकार जल्द अपने इस निर्णय को वापस ले. 


किसान नेता लखविंदर सिंह ने कहा कि एक तो प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों की फसल खराब हो गई है और दूसरा केंद्र सरकार ने जो लस्टर लॉस का जो फैसला लिया है. वह गलत फैसला है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने इस फैसले को वापस नहीं लेती तो किसान मजबूरन आंदोलन करेंगे.


Input: विजय कुमार, नवीन शर्मा