Haryana News: हरियाणा में जल्द ही कचरे से चारकोल बनाने की फैक्ट्री लगने वाली है. इसे ग्रीन कोल प्लांट के नाम से भी जाना जाएगा. इस प्लांट के लिए एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (NVVNL) और हरियाणा सरकार के बीच जल्द ही समझौता ज्ञापन (AMU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. गुरुग्राम, मानेसर और फरीदाबाद में प्लांट स्थापित करने के बाद इस पहल का विस्तार हरियाणा के अन्य शहरों में भी किया जाएगा. एनवीवीएनएल के अधिकारी जल्द ही हरित कोयला संयंत्र (ग्रीन कोल प्लांट) स्थापित करने के लिए कुछ स्थलों का दौरा करेंगे.


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मनोहर लाल ने की बैठक
इसी को देखते हुए दिल्ली के श्रम शक्ति भवन में मनोहर लाल की अध्यक्षता में एक बैठक हुई, जिसमें हरियाणा सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. शहरों में लगातार बढ़ते ठोस कचरे से निजात पाने के लिए नगर निगम में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन पर विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है. बैठक के दौरान ठोस अपशिष्ट से ग्रीन कोल बनाने की एनवीवीएनएल की पहल पर विस्तृत चर्चा की गई.


ग्रीन कोल है विकल्प
ग्रीन कोल, जिसे जैव-कोयला भी कहा जाता है वह पारंपरिक अपशिष्ट का स्थायी विकल्प है, क्योंकि इसे थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए नियमित कोयले के साथ मिश्रित किया जा सकता है. एनवीवीएनएल ने हाल ही में ठोस अपशिष्ट से ग्रीन कोल बनाने के लिए वाराणसी में एक संयंत्र स्थापित किया है. यह संयंत्र 600 टन अपशिष्ट का उपभोग करेगा तथा 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन करेगा, जिससे बहुत कम अवशेष बचेगा. एनवीवीएनएल हल्द्वानी, वडोदरा, नोएडा, गोरखपुर तथा भोपाल में भी ग्रीन कोल संयंत्र स्थापित करने के लिए काम कर रहा है.


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हरित कोयला परियोजना स्थापित की जाएगी
बैठक में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने निर्देश दिए कि हरियाणा के विभिन्न जिलों में हरित कोयला परियोजनाएं स्थापित की जाए. नगर निगम आयुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि नगर निगम ने पहले ही यह प्रक्रिया शुरू कर दी है. केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिए कि नगर निगम एनवीवीएनएल के साथ मिलकर बंधवाड़ी या गुरुग्राम व मानेसर के आसपास वैकल्पिक स्थलों पर एक ग्रीन कोल प्लांट स्थापित करे. उन्होंने कहा कि यह प्लांट प्रतिदिन लगभग 1,200 टन ठोस अपशिष्ट का निपटान करने में सक्षम होना चाहिए.


1000 टन प्रतिदिन की क्षमता से प्लांट स्थापित
फरीदाबाद नगर निगम को एनवीवीएनएल के साथ मिलकर मोठूका गांव में उपलब्ध भूमि पर 1,000 टन प्रतिदिन क्षमता का प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. गुरुग्राम-मानेसर व फरीदाबाद में वेस्ट-टू-ग्रीन कोल प्लांट स्थापित करने से न केवल अपशिष्ट समस्या का स्थायी समाधान होगा बल्कि ऊर्जा उत्पादन में भी वृद्धि होगी.