Haryana News: अमृतसर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी हिस्सा लिया. बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसवाईएल और पंजाब यूनिवर्सिटी का मुद्दा रखा. जिसे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सिरे से खारिज कर दिया. इस बारे में बात करते हुए हरियाणा शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बताया कि यह बैठकें इसलिए होती हैं ताकि अलग-अलग मुद्दों को बैठक में रखा जा सके और उनको बातचीत के बाद  सुलझाया जा सके, लेकिन जिस तरह से पंजाब के मुख्यमंत्री का जवाब आया वह सही नहीं था. हम पंजाब से कोई अतिरिक्त पानी नहीं मांग रहे हैं. हम सिर्फ अपना अधिकार मांग रहे हैं. पहले हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य था, जब हरियाणा अलग हुआ तो उसे उसके हिस्से का पानी मिलना चाहिए.


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पंजाब यूनिवर्सिटी से होना चाहिए 
पंजाब यूनिवर्सिटी को लेकर उन्होंने कहा कि अगर पंजाब यूनिवर्सिटी का हरियाणा के कॉलेजों में एफीलिएशन होगा तो उसे पंजाब यूनिवर्सिटी का ही फायदा होगा. पंजाब के मुख्यमंत्री को कम से कम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से एक बार पूछना चाहिए. वह भी ऐसा ही कहेंगे, लेकिन राजनीति के डर से वह पंजाब यूनिवर्सिटी का हिस्सा हरियाणा को नहीं देना चाहते. इस बैठक में चंडीगढ़ पर अधिकार के मुद्दे पर भी चर्चा हुई जिस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि हरियाणा बनने के बाद यह दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई और यहां पर दोनों राज्यों का काम सही तरीके से चल रहा है. चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है और इस पर कोई एक राज्य अधिकार की बात नहीं कर सकता.


चौधरी देवीलाल के साथ खड़े नहीं हुए चौधरी विरेंद्र
चौधरी बीरेंद्र  सिंह के इनेलो की सम्मान दिवस रैली में शामिल होने की बात पर उन्होंने कहा कि वैसे तो बीरेंद्र सिंह कभी चौधरी देवीलाल के साथ खड़े नहीं हुए और अब वह उनकी याद में आयोजित की जा रही रैलियों में जा रहे हैं. उनका इस रैली में जाने का क्या मतलब था यह तो वही बता सकते हैं. अन्य जो भी नेता इस रैली में शामिल हुए वह राजनीतिक मकसद से नहीं बल्कि चौधरी देवीलाल के सम्मान और उनकी याद में इस रैली में पहुंचे.


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बिखर जाएगी गठबंधन
इसके अलावा उन्होंने कहा कि रैली में न तो आम आदमी पार्टी को नेता पहुंचे और न ही कांग्रेस का कोई नेता नजर आया, जिससे यह साफ होता है कि हरियाणा में तो इंडिया गठबंधन वाली कोई बात नहीं है. बल्कि देश में भी यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगी. क्योंकि गठबंधन के लिए एक बड़ी पार्टी या एक बड़े कद के नेता का होना जरूरी है, जो सबका नेतृत्व कर सके, लेकिन इंडिया गठबंधन में ऐसा कोई नेता नहीं है. अगर कांग्रेस राहुल गांधी को गठबंधन का नेता चुनेगी तो बाकी दल राहुल गांधी जैसे व्यक्ति को अपना नेता स्वीकार नहीं करेंगे.
यह भी तय है कि चुनाव से पहले यह गठबंधन बिखर जाएगा.


INPUT- Vijay Rana